बीजिंग। चीन हमेशा ताइवान पर अपना दावा पेश करता रहा है। वहीं, अमेरिका और उसके सहयोगी ताइवान के मुद्दे को बातचीत से सुलझाने को कहते रहे हैं। अब चीन ने ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका को धमकी दी है। दरअसल, ताइवान के करीब अमेरिका की मौजूदगी ज्यादातर उसके युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर के कारण हैं। चीन ने कहा है कि ताइवान की मदद के लिए पहुंचने से पहले ही उसकी कैरियर किलर मिसाइलें अमेरिकी सेना को डुबो देंगी। चीन की इस तरह की धमकी ने दुनिया में तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ा दिया है।

चीन की सेना ने तीन दिन ताइवान के करीब युद्धाभ्यास किया है। युद्धाभ्यास खत्म होने के बाद भी चीन के युद्धपोत और फाइटर जेट ताइवान के चारों ओर घूम रहे हैं। चीन का यह युद्धाभ्यास ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन की अमेरिका यात्रा के बाद हुआ है। ताइवान की राष्ट्रपति ने अमेरिकी हाउस के स्पीकर केविन मैकार्थी से मुलाकात की थी। चीन की सेना के अभ्यास के दौरान चीनी मीडिया ने ताइवान को तबाह करने की धमकी दी। इसके अलावा चीनी सेना ने हमले का सिमुलेशन भी किया।

रिपोर्ट के अनुसार चीनी मीडिया ने कहा कि पीएलए ताइवान के मामले में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप के लिए 100 फीसदी तैयार है। चाहे वह सैन्य हस्तक्षेप हो, आर्थिक प्रतिबंध या अमेरिका की ओर से राजनीतिक अलगाव का प्रयास। इसने जोर देकर कहा कि चीन के पास प्रतिक्रिया का एक प्लान है और वह पीछे नहीं हटेगा। चीनी मीडिया का कहना है कि ताइवान पहुंचने से पहले चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल किसी भी अमेरिकी फोर्स पर हमला कर देंगे।

चीन ने अमेरिकी नौसेना के खिलाफ एक विशाल शस्त्रागार बनाया है। इसे कैरियर किलर कहा जाता है। इसमें डीएफ-17 और डीएफ 21 मिसाइल शामिल हैं, जो 12 हजार किमी दूर समुद्र में चलते हुए लक्ष्य पर हमला कर सकते हैं। चीन पर आरोप है कि वह अमेरिका के हवाई इलाके में हमले के लिए सैटेलाइट से लेजर दागकर जानकारी बटोर रहा है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार सोमवार को 91 चीनी सैन्य विमानों ने द्वीप के चारों ओर उड़ान भरी, जो एक रिकॉर्ड था।

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