भोपाल, 28 अप्रेल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके स्तान पर भिंड जिले की लहार सीट से विधायक डॉ.गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष होंगे। बताया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस ने यह बदलाव किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के हाथों जारी हुए पत्र में लिखा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर कमलनाथ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। पार्टी उनके योगदान की प्रशंसा करती है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने डॉ.गोविंद सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है। बोले डॉ.गोविंद सिंह–सुरखाब के पर नहीं लगे हैं, पहले से हूं विपक्ष का विधायक……
नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद डॉ.गोविंद सिंह ने संवाद माध्यमों से चर्चा में कहा कि मैं पहले भी विधायक था, अब भी विधायक ही रहूंगा। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कोई सुरख़ाब के पर नहीं लग गए हैं। मैं विपक्ष की भूमिका निभाता था और निभाता रहूंगा। सरकार की गलत नीतियों का विरोध करता रहूंगा। कमलनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि उन्होंने मुझे अपनी जिम्मेदारी में सहयोगी बनाया है। मैं उनका शुक्रगुजार हूं। उनके मार्गदर्शन में मैं विपक्ष की भूमिका निभाता रहूंगा।
लंबे समय से उठ रही थी एक व्यक्ति एक पद की मांग
विगत दिनों से कमलनाथ के पार्टी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर बने रहेने के संबंध में पार्टी में सुगबुगाहट चल रही थी। विरोधी धड़े लामबंद हो रहे थे। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री रहते हुए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखा था। भाजपा भी लंबे समय से कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद नियम की अनदेखी होने पर प्रश्न उठा रही थी। कुछ दिन पूर्व गृह-मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा तक ने कह दिया था कि कमलनाथ को खुद हट जाना चाहिए और विधानसभा में गोविंद सिंह को ही नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए। तेजतर्रार अंदाज के लिए जाने जाने वाले डॉ. गोविंद सिंह दिग्विजय सिंह के करीबी रहे हैं। यह लगातार तीसरा प्रमुख पद है जो दिग्विजय के करीबी को मिला है। इससे पहले प्रदेश युवा कांग्रेसाध्यक्ष विक्रांत भूरिया और महिला कांग्रेसाध्यक्ष विभा पटेल भी दिग्विजय सिंह समर्थक माने जाते हैं।
लगातार 7वीं बार विधायक बने हैं डॉ.गोविंद सिंह
गोविंद सिंह मध्यप्रदेश कांग्रेस के एकमात्र ऐसे विधायक हैं, जो लगातार सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। उन्होंने 1990 में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में 14 हजार मतों से जीत की श्रृंखला प्रारंभ की थी। वह 1993 में कांग्रेस से विधायक बने और अब तक लगातार अपराजेय रहे हैं। सदन में सबसे वरिष्ठ विधायक लोकनिर्माण मंत्री गोपाल भार्गव हैं। वह आठवीं बार लगातार सागर की रहली सीट से विधायक बने हैं। चुनाव जीतने के मामले में वे मध्यप्रदेश में दूसरे नंबर पर हैं। हालांकि सात बार लगातार चुनाव जीतने वाले विधायकों में गौरीशंकर बिसेन, करण सिंह वर्मा और विजय शाह शामिल हैं।