ग्वालियर, 21मार्च। ग्वालियर में पुलिस की सायबर सेल ने ठगी के मामलों में उपयोग में लाई जाने वाली हजारों की संख्या में मोबाइल सिमों को ब्लॉक करा दिया है। यह मध्यप्रदेश ही नहीं देश में अपनी तरह का पहला मामला है। सायबर पुलिस ने एक साथ लगभग आठ हजार मोबाइल सिम्स को ब्लॉक किया है। यह सिम ठगों द्वारा विभिन्न मोबाइलों से ठगी के लिए उपयोग में लाई जाती थीं।
मध्यप्रदेश सायबर पुलिस के अनुसार ग्वालियर में पिछले दिनों एक कार का विज्ञापन देकर युवक से करीब पौने दो लाख रुपए की ठगी की गई थी। इसकी शिकायत पुलिस की सायबर सेल में की गई। अन्वेषण पर पता चला कि आरोपी ने इस अपराध को कारित करने के लिए कूट नामों पर जारी सिम्स का उपयोग किया गया था। घटना में प्रयुक्त सिम्स के सत्यापन के लिए ऐसे नागरिकों की पहचान का उपयोग किया गया जिन्हें इसका पता ही नहीं था। मामले में आठ संदिग्धों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई है।
20 हजार संदिग्ध सिम्स में से सत्यापन के बाद 8 हजार हुईं ब्लॉक
टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधियों को भी सायबर सेल ने नोटिस जारी किए हैं। फर्जी सिम उपयोग करने वाले संदिग्धों के उपयोग में आईं 20,000 से अधिक संदिग्ध मोबाइल नंबरों का डाटा सायबर सेल द्वारा इकट्ठा किया गया था। संदिग्ध सिमों के पुनर्सत्यापन के बाद कंपनी ने 7,948 सिम्स को ब्लॉक कर दिया है। इतनी बड़ी संख्या में सिम्स एक साथ ब्लॉक कराए जाने का यह देश का पहला मामला माना जा रहा है। सायबर सेल पुलिस द्वारा साइबर अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई के साथ ही तकनीकी का अन्वेषण व विवेचना के बाद सायबर अपराधियों के उपयोग में आई कूटरचित सिम्स के प्रदाताओं पर भी कठोर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा रही है।
फेसबुक पर विज्ञापन दे की गई ठगी, सायबर ठगों ने कूटरचित सिम्स से की थी 1.75 लाख की ठगी
ग्वालियर में फेसबुक पर कार का विज्ञापन देकर शिकायतकर्ता से 1,75,000 रुपए की ठगी 2020 में की गई थी। विवेचना के दौरान पाया गया कि ठगी के पीड़ित को जिस सिम से कॉल किया गया है वह किसी निर्दोष नागरिक पहचान पत्रों को अवैध मार्गों से बनवाया गया था। कूटरचित सिम जारी करने में कानूनी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया था, इस संबंध में भी आठ आरोपियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की गई। इसके साथ ही सिम जारी करने में आवश्यक सावधानियां न बरतनेकी आरोपी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं। ज्ञातव्य है कि प्रकरण में प्रयुक्त मोबाइल नंबरों के उपयोगकर्ताओं द्वारा एक वर्ष में लगभग 20,000 कूटरचित सिम्स का उपयोग किया गया। इन सिम्स को संदिग्ध मानते हुए जारी कने वाली सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को भी परीक्षण के निर्देश दिए जा चुके हैं।