भोपाल, 13 मार्च। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से ATS ने चार आतंकियों को पकड़ा है। प्रारंभिक पूछताछ में ज्ञात हुआ है कि यह प्रतिबंधित बांग्लादेशी  आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिदीन के सदस्य हैं। इन्हें भोपाल में आतंकी गतिविधियों के लिए स्लीपर सेल तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। भविष्य में इसी स्लीपर सेल की मदद से यह आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की योजना पर काम कर रहे ते। दो आतंकी ऐशबाग इलाके की फातिमा मस्जिद के पास किराए के मकान से पकड़े गए, इनकी निशानदेही पर करोंद इलाके की खातिजा मस्जिद के पास एक घर में रह रहे दो और आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। आतंकियों से भारी मात्रा में जिहादी साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। एक मकान मालकिन ने बताया कि इन्हें गरीब विद्यार्थी बता कर एक कंप्यूटर मैकेनिक ने मकान दिलाया था।

मध्यप्रदेश ATS को भोपाल में कुछ आतंकी छिपे होने की सूचना मिली थी। अन्वेषण के बाद रविवार तड़के 3:30 बजे पुलिस ऐशबाग पहुंची और एक भवन पर छापा मारा। पुलिस के आने की भनक लगते ही आतंकियों ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था, पुलिस दरवाजा तोड़ अंदर दाखिल हुई और दो आतंकियों को पकड़ लिया।

गिरफ्तार आतंकियों के नाम

– फजहर अली (32) उर्फ मेहमूद पिता अशरफ इस्लाम

– मोहम्मद अकील (24) उर्फ अहमद पिता नूर अहमद शेख

– जहूरउद्दीन (28) उर्फ इब्राहिम उर्फ मिलोन पठान उर्फ जौहर अली पिता शाहिद पठान

– फजहर जैनुल आबदीन उर्फ अकरम अल हसन उर्फ हुसैन पिता अब्दुल रहमान

कई विस्फोटों में लिप्तता के बाक जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) पर लगा था प्रतिबंध  

  • JMB ने ही 2005 में कराए थे बांग्लादेश के 50 शहरों व कस्बों में 300 स्थानों पर करीब 500 बम विस्फोट।
  • इसी संगठन ने 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में कराए थे बम ब्लास्टॉ, दो लोग मारे गए थे।
  • JMB ने ही 2018 में बोधगया में कराए थे बम ब्लास्ट
  • JMB को 2019 में भारत सरकार ने 5 वर्ष के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।

रात 3:30 बजे ऐशबाग इलाके में हुई पुलिस कार्रवाई, जुट गया हुजूम
मकान मालकिन नायाब जहां ने बताया कि रात करीब 3.30 बजे हम लोग ऊपर कमरे में सो रहे थे। तभी अचानक चलो-चलो की आवाजें आने लगीं। किराएदारों के कमरों में हंगामा सुनाई दिया तो बाहर निकलकर देखा। घर के सामने भीड़ जुटी थी। मुझे देखते ही पुलिस ने कहा–आप अंदर जाओ। मैंने पूछा–बताओ, हुआ क्या है? पुलिस ने फिर कहा–अंदर जाइए। पानी पीजिए। कुछ नहीं हुआ।

कम्प्यूटर मैकेनिक ने दिलवाया था मकान
मकान मालिक नायाब जहां ने बताया कि इलाके में रहने वाले कम्प्यूटर मैकेनिक सलमान ने तीन महीने पहले अपने परिचित अहमद के लिए मकान किराए पर मांगा था। सलमान ने बताया था कि अहमद आलिमी तालीम के लिए यहां आया है। मकान खाली था, इसलिए उसके कहने पर साढ़े तीन हजार रुपए महीने पर अहमद को दे दिया। अहमद ने किराया हमेशा कैश ही दिया।

पड़ोसी बोले–डेढ़ वर्ष से रह रहे थे आतंकी
पड़ोस में रहने वाली शाहिदा ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकी करीब डेढ़ वर्ष से नायाब जहां के मकान में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि इसी मकान के नजदीक ही एक लड़की भी किराए से रहती थी। संदिग्ध आतंकी इस लड़की को सूखा राशन देते थे। वह इन्हें खाना पका कर देती थी। हालांकि वह 11 महीने पहले वह लड़की मकान खाली करके जा चुकी है।

आधार कार्ड मांगा तो बनाए थे बहाने
मकान मालकिन नायाब जहां के मुताबिक, अहमद ने मकान अकेले रहने के लिए किराए पर लिया था। करीब दो सप्ताह बाद अहमद के साथ एक और लड़का रहने लगा। वह मुफ्ती साहब के नाम से मशहूर है। सभी उसे मुफ्ती साहब ही कहते थे।

मकान देने के करीब दो सप्ताह बाद अहमद से उसका आधार कार्ड मांगा था। इस पर अहमद ने दो सप्ताह बाद मकान खाली करने की बात कही। दो हफ्ते बाद मकान खाली नहीं होने पर दोबारा आधार मांगा, तब भी उसने आनाकानी कर दी।

पड़ोसी कह रहे 1.5 वर्ष से रह रहे, मकान मालकिन ने बताया तीन माह
इस मामले में मकान मालिक और पड़ोसियों के विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं। मकान मालकिन नायाब जहां का कहना है कि दोनों संदिग्ध तीन महीने पहले रहने आए थे। वहीं, पड़ोसन का कहना है कि युवक सालभर से वहां रह रहे थे। पुलिस इस मामले की पड़ताल भी कर रही है।

शांत इलाकों को ठिकाना बना बढ़ाते हैं स्लीपर सेल
ये बात पहले भी सामने आ चुकी है कि आतंकी ऐसे इलाकों को ठिकाना बनाते हैं, जहां का इलाका शांत होता है। इसके पहले इंदौर, उज्जैन के पास महिदपुर और उन्हैल इलाके से भी सिमी आतंकियों के तार जुड़े थे। इंदौर के करीब जंगल में सिमी आतंकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेते थे।

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