नहीं पुरुष   

ग्वालियर, 13 मार्च। उच्चतम न्यायालय में ग्वालियर से एक अनोखे विवाह का विवाद पहुंचा है। एक पति ने याचिका दायर बताया है कि उसकी पत्नी स्त्री नहीं पुरुष है। याचिकाकर्ता ने बताया है कि पत्नी के निधन के बाद ससुर ने बच्चों की देखभाल के लिए जिससे पुनर्विवाह कराया वह पूर्ण स्त्री  नहीं है, उसका गुप्तांग अविकसित पुरुष जैसा है। याचिकाकर्ता की पीड़ा है कि वह पत्नी के साथ संभोग नहीं कर सकता है, इसलिए पत्नी के साथ उसका रहना असंभव है। अतः उसे विवाह से मुक्त कराया जाए। याचिकाकर्ता ने पत्नी और ससुर के विरुद्ध भी आपराधिक मामला दर्ज कराए जाने की प्रार्थना की है। उच्चतम न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर सुनवाई के लिए पत्नी, ससुर और मध्यप्रदेश पुलिस को 6 सप्ताह का समय देकर उत्तर मांगा है।

उच्चतम न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए पत्नी, उसके पिता और पुलिस को डेढ़ माह का समय देकर उत्तर मांगा है। ज्ञातव्य है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में भी पति ने याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता के मामले को संज्ञान में लिया गया था।  

चिकित्सकीय प्रतिवेदन में लिखा–पत्नी, अपूर्ण स्त्री व अपूर्ण पुरुष  

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एवं उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एनके मोदी ने उच्चतम न्यायालय को याचिकाकर्ता की पत्नी के चिकित्सकीय परीक्षण का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया था कि हायमन झिल्ली पूरे गुप्तांग को ढंके हुए है एवं उसके ऊपर अल्प-विकसित पुरुष जननांग भी है।  इसलिए पत्नी को स्त्री नहीं कहा जा सकता है। यद्यपि प्रतिवेदन में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता की पत्नी का अंडाशय सामान्य है। अधिवक्ता एवं पूर्व न्यायधीश मोदी के अनुसार याचिकाकर्ता को उक्त महिला के बारे में मिथ्या सूचना देकर ठगा गया है। विवाह से पूर्व महिला ने भी अपने गुप्तांग के संबंध में कुछ नहीं बताया था।

ज्ञताव्य है कि इससे पूर्व 2019 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पत्नी के विरुद्ध धोखाधड़ी के आरोप को संज्ञान में लिया था। सूचना के अनुसार दोनों का विवाह 2016 में हुआ था। अगस्त 2017 में पीड़ित व्यक्ति ने पत्नी और उसके पिता के विरुद्ध प्राथमिकी पंजीकृत करने के लिए आवेदन दिया था। याचिकाकर्ता की पत्नी ने भी पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा व दहेज प्रताड़ना के आरोप में प्राथमिकी कराई थी।

सूत्रों के अनुसार याचिकाकर्ता का कहना है कि दो बच्चों के जन्म के बाद उसकी पत्नी का बीमारी से निधन हो गया था। इनकी देखभाल के लिए वह दूसरा विवाह करना चाह रहा था। पहली पत्नी के पिता ने ही पुनर्विवाह के लिए वर्तमान पत्नी  और उसके पिता से मिलवाया था।

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