लखनऊ, 10 मार्च। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता के विश्वास के सहारे नोएडा भ्रमण से संबंधित अंधविश्वास को चकनाचूर कर दिया है। योगी के दर्जनों बार नोएडा प्रवास के बाद भी मात्र उनका दल ही उत्तरप्रदेश में दोबारा सरकार नहीं बना रहा, गोरखपुर के योगी ने स्वयं भी रिकार्ड विजय प्राप्त की है साथ ही नएडा के तीनों पार्टी उम्मीदवारों की विजय भी सुनिश्चित कर दी।
ज्ञातव्य है कि राजनीतिक गलियारों में नोएडा को लेकर अधंविश्वास प्रचलित रहा था कि इस क्षेत्र का ब्रमण एवं प्रवास करने वाला मुख्यमंत्री अगले कार्यकाल में शासन नही कर सकता।
तीन दशकों से था अंधविश्वास, जो मुख्यमंत्री नोएडा आया वह गया
लगभग तीन दशकों से उत्तरप्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री अगर गौतमबुद्ध बौद्ध जिले के नोएडा का दौरा करता था वह सत्ता से बाहर हो जाता था। नोएडा यात्रा से लौटने के कुछ दिनों बाद, जून 1988 में मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद यह अंधविश्वास प्रारंभ हुआ।
बसपा सुप्रीमो मायावती मार्च 2007 में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी और उसी वर्ष नवंबर में अपने करीबी सतीश मिश्रा के संबंधी के विवाह में सम्मिलित होने नोएडा गई थीं। बसपा सुप्रीमो के मिथक तोड़ने के साहस की सराहना की गई थी, किंतु 2012 में वह सत्ता से दूर हो गई थीं। परिणाम स्वरूप नोएडा प्रवास उत्तरप्रदेश के सत्ताप्रमुखों के अवचेतन के भय स्थान में शापित मिथक के रूप में स्थापित हो गया।
सत्ता न छिने इसलिए अखिलेश यादव कभी नहीं गए नोएडा
वर्ष 2012 में सत्ता से दूर हुईआ ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव की रहने वाली मायावती, समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री कार्यकाल में नोएडा जाने से बचते रहे थे। मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव 2012 में मुख्यमंत्री बने ने। उनके सामने मायावती का सद्यजात उदाहरण था, इसलिए वह हमेशा नोएडा की व्यक्तिगत यात्रा से बचते रहे। यहां तक कि अखिलेश 2013 में नोएडा में आयोजित एशियाई विकास बैंक के शिखर सम्मेलन तक में सम्मिलित नहीं हुए थे, जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे।
योगी ने दर्जनों बार किया नोएडा यात्रा-प्रवास
योगी आदित्यनाथ 2017 में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, इसके बाद से वह दर्जनों बार नोएडा गए और प्रवास भी किया। इस क्षेत्र में अन्य विकास परियोजनाओं के बीच, नोएडा मेट्रो का शुभारंभ भी किया। इसी वर्ष मुख्यमंत्री योगी ने विगत वर्ष जनवरी में कोविड-19 महामारी की स्थिति की समीक्षा करने के लिए गौतम बौद्ध नगर की यात्रा की। यहां योगी ने मायावती और अखिलेश यादव को लक्ष्य करते हुए कहा था–यहां आना उनके लिए अहम हो जाता है क्योंकि उनके पहले के मुख्यमंत्री हमेशा जिले का दौरा करने से बचते रहे हैं। आदित्यनाथ ने कहा था कि वह नेता डरते थे, उनका अपना जीवन और राजनीतिक शक्ति ही उनके लिए महत्वपूर्ण थीं, किंतु उनके पास राज्य के लोगों की आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए कोई एजेंडा नहीं था और इसलिए वे गौतमबुद्ध नगर जाने से हिचकिचाते थे।