उच्च न्यायालय ने की थी टूटते परिवारों को बचाने की थी पहल, दूसरे ही दिन अवमानना कर ससुर ने दामाद को पीटकर बाहर निकाला

ग्वालियर, 27 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने बेटे की कस्टडी मांग रही ग्वालियर की एक युवती को उसकी ससुराल में जाकर सात दिन रहने की नसीहत दी थी, ताकि टूटते परिवार को जोड़ा जा सके। इसीसे प्रेरित होकर ग्वालियर खण्डपीठ ने एक और परिवार को टूटने से बचाने के प्रयास में पति को पत्नी के साथ ससुराल में रहने की हिदायत दी थी। किंतु, पति ने 27 फरवरी को पुलिस में शिकायत की है कि ससुराल वालों ने उच्च न्यायालय की अवमानना करते हुए उसे पहले दिनभर भूखा रखा फिर मारपीट कर बाहर निकाल दिया। युवक के आरोप है कि ससुर ने उसे धमकी दी है–पत्नी व बच्चे को वहीं छोड़कर नहीं भागा तो जान से मार दिया जाएगा। पति ने गुहार लगाई है कि बेटा उससे दूर रह कर रो-रोकर बेहाल हो रहा है, इसलिए बेटा उसे दिलाकर ससुराल से छुटकारा दिलाया जाए व उसकी व बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उच्च न्यायालय के आदेश के दूसरे ही दिन कर दी अवमानना, पुलिस गुहार, बेटा दिलाएं व ससुरालियों से सुरक्षा सुनिश्चित कराएं….

मुरैना निवासी मोनू रजक ने रविवार 27 फरवरी को पुलिस को सौंपी लिखित शिकायत में बताया है कि उसका विवाह गीता रजक से 2016 में एक सम्मेलन में बिना दहेज हुआ था। पत्नी गीता के व्यवहार से परेशान होकर उसे समझाने की कोशिश की तो वह दिसंबर 2021 में मां के साथ दुर्घटना का झूठा बहाना बना कर मायके ग्वालियर चली गई। गीता साथ में दुधमंहे बेटे को भी साथ ले गई थी। किंतु, जब मुझे पता चला कि बेटे के साथ ससुराल में अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा हैं। ससुर पत्नी का सौतेला पिता है और वह व उसके बेटे गांजे के नशे के आदी हैं। बेटे की जिंदगी खतरे में देख मोनू रजक ने उच्च न्यायालय में बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से बेटी की सुपुर्दगी मांगी थी। इस पर न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने 23 फरवरी को उसे ससुराल में पत्नी व बच्चे के साथ एक माह रहने का आदेश दिया था। किंतु, पहले ही दिन से सौतेले ससुर वा सालों ने उसे मारपीट कर भगा दिया। मोनू रजक ने आवेदन में गुहार लगाई है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर सुनवाई 22 मार्च को होनी है, किंतु तब तक मेरी व बेटी की जिंदगी ख़तरे में है, इसलिए पुलिस मेरी व बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित करे और माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराए और आरोपी ससुरालियों के विरुद्ध कार्रवाई करे।

न्यायालय ने परिवार जोड़ने की थी अनूठी पहल

ज्ञातव्य है कि 23 फरवरी को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दो परिवारों को टूटने से बचाने अनूठे आदेश जारी किए थे। पहले मामले में ग्वालियर निवासी एक पत्नी के एक सप्ताह के लिए अपनी मुरैना स्थित ससुराल पति-दूसरे मामले में मुरैना निवासी पति को ग्वालियर स्थित मायके में बेटे को लेकर रह रही पत्नी के साथ एक माह तक ससुराल रहने का आदेश दिया था। दोनों आदेशों में उच्च न्यायालय ने ससुराल परिवारों के क्रमशः बहू व दामाद की सुरक्षा व अच्छे व्यवहार को सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे।

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