ग्वालियर, 24 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बिखरते हुए परिवार को दोबारा जोड़ने की अनूठी पहल की है। उच्च न्यायालय ने अपने बच्चों से मिलने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता महिला को परामर्श दिया है कि पहले वह सप्ताह भर बच्चों के साथ ससुराल में रहे और प्रयास करे कि पति व ससुराल से हुई दूरी कम हो जाए। कस्टडी से पूर्व सप्ताह भर रहो बच्चों, पति व ससुराल वालों के साथ, बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय की अनुकरणीय पहल….
ग्वालियर निवासी एक युवती का विवाह समीपवर्ती शहर मुरैना के गणेशपुरा में 10 वर्ष पूर्व हुआ था। दांपत्य अवधि में वह तीन व ताल वर्ष के दो बेटों की मां भी बनी, किंतु कतिपय कारणों से उसकी अनबन पति व ससुराल वालों से हो घई और वह ग्वालियर स्थित मायके में रह रही है। जबकि उसके दोनों दुधमंहे बेटे दादी व पिता के पास मुरैना में ही रह रहे हैं। बेटों की बच्चों की कस्टडी लेने के लिए महिला ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। याचिका में अनुरोध किया कि सास ने बच्चों को अवैधानिक रूप से अपनी गिरफ्त में रखा हुआ है। सुनवाई में न्यायमूर्त आनंद पाठक की एकल खंडपीठ ने याचिकाकर्ता महिला के साथ ही उसके ससुराल परिवार को भी तलब किया था। महिला ने अपने ससुरालियों पर आरोप लगाया था कि वह दुर्व्यवहार करते हैं, इसलिए वह मायके में रह रही है। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह यहां रिलाएंस फ्रैश में सेवारत है। खंडपीठ में सास से इस संबंध में पूछा तो तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद उम्मीद जताई कि परिवार दोबारा सुख शांति से एक साथ निर्वाह कर सकता है।
न्यायालय ने इसी उम्मीद के साथ याचिकाकर्ता को परामर्श दिया है कि वह एक सप्ताह तक अपनी ससुराल में पति व बच्चों के साथ रहे। उच्च न्यायालय ने ससुराल पक्ष को भी चेतावनी दी है कि इस दौरान याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की प्रताड़ना या क्षति नहीं पहुंचाई जाए। उच्च न्यायालय ने महिला की सास तथा अन्य परिजनों से सुरक्षा की गारंटी लेते हुए विवेचना अधिकारी पुलिस उप-निरीक्षक को याचिकाकर्ता की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। ससुराल परिवार के अनुरोध पर उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भी शांतिपूर्ण व्यवहार करने की हिदायत दी है। दोनों पक्षों के प्रस्ताव मानने के बाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को ससुराल में रह कर प्रतिदिन मुरैना से ग्वालियर अपने सेवास्थल पर आने जाने की मोहलत देने के भी निर्देश दिए हैं। अब एक सप्ताह बाद इस मामले में दोबारा सुनवाई की जाएगी।