
ग्वालियर, 25 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने आपराधिक प्रकरणों में विवेचना के दौरान पुलिस की केस-डायरी महत्वपूर्ण तथ्यों को गायब करने की पुलिस की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया ने इस मामले में इंदरगंज थाने के प्रभारी मिर्जा आसिफ बेग और विवेचना अधिकारी सब इंस्पेक्टर अधेश कुशवाह पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिया है। न्यायालय में तलब किए गए SSP अमित सांघी ने न्यायालय को आश्वस्त किया है कि दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर कोर्ट को अवगत करा दिया जाएगा। लड़ाई में बीच-बचाव करने वाले को आरोपी बना CCTV फुटेज किए केस डायरी से गायब न्यायालय में अधिकारियों को मिली फटकार….
मामला एक अधिवक्ता योगेश पाल से जुड़ा हुआ है। शहर के दीनदयाल मॉल के बाहर रोटरी आइसक्रीम पार्लर व्यापारी नारायण दत्त चौरसिया के साथ विगत वर्ष चार अक्टूबर को आरोपी आनंद जादौन ने 10 रुपये के विवाद में गंभीर मारपीट कर दी थी। इंदरगंज थाने की पुलिस ने विवेचना में आनंद जादौन के अलावा बीच-बचाव करने वाले योगेश पाल को भी लूट व मारपीट का आरोपी बना लिया था। विगत माह 21 जनवरी को मुख्य आरोपी आनंद जादौन को न्यायालय से इस आधार पर मिल गई क्योंकि उसके विरुद्ध पुलिस ने कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए थे। जबकि, अधिवक्ता योगेश पाल को जमानत नहीं दी गई।
मुख्य-आरोपी छूटा, बीच-बचाव करने वाले को जमानत नहीं, उच्च न्यायालय में आवेदन
योगेश पाल ने उच्च न्यायालय में जमानत आवेदन दिया, इसमे इस बात का उल्लेख किया कि उसने आइसक्रीम बेचने वाले चौरसिया के साथ कोई मारपीट नहीं मात्र बीच-बचाव किया था। योगेश के आवेदन में बताया गया कि मॉल के सीसीटीवी फुटेज पूरी दर्ज है। आवेदन पर गुरुवार को न्यायालय में सुनवाई हुई तो सरकारी वकील अंजलि ज्ञानानी न्यायमूर्ति अहलूवालिया को यह बताने में असफल रही कि आनंद जादौन की जमानत के समय सीसीटीवी फुटेज क्यों पेश नहीं किए गए, जबकि पुलिस ने फुटेज जब्त किए थे। न्यायालय ने तत्कालीन पैनल अधिवक्ता अभिषेक पाराशर को भी तलब किया था। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि जब उनके पास केस डायरी आई तो उसमें सीसीटीवी फुटेज का उल्लेख नहीं था।
डायरी से साक्ष्य गायब करने से नाराज न्यायालय ने तलब किए अधिकारी
न्यायालय ने इंदरगंज थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर मिर्जा आसिफ बैग और सब इंस्पेक्टर अवधेश कुशवाहा को तलब किया। दोनों विवेचना अधिकारी भी अदालत के इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके कि सीसीटीवी फुटेज जब विवेचना के प्रारंभिक चरण में ज़ब्त किए गए थे तो प्रस्तुत क्यों नहीं गए किए गए, और बाद में क्यों कर दिए गए। दोनों विवेचना अधिकारियों के असंतोषजनक उत्तर से नाराज न्यायलय ने SSP को तलब किया।
न्यायालय ने SSP से जताई नाराजगी, पूछा–महत्वपूर्ण तथ्य ही क्यों होते हैं गायब
न्यायालय ने SSP अमित सांघी से पूछा–हमेशा महत्वपूर्ण साक्ष्य ही पुलिस डायरी से क्यों गायब होते हैं। न्यायालय ने बताया कि यह कई प्रकरणों में हो चुका है। न्यायामूर्ति अहलूवालिया ने असंतोष जताया कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं करते हैं, इसीलिए इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है। एसएसपी अमित सांघी न्यायालय को विश्वास दिलाया कि वह दोनों अधिकारियों को निलंबित कर न्यायालय को भी शनिवार 26 फरवरी तक अवगत करा दिया जाएगा। योगेश पाल की जमानत याचिका पर सुनवाई भी शनिवार सुबह की जाएगी।
BITE-पुरुषोत्तम राय, आवेदक योगेश पाल के अधिवक्ता