


इंदौर, 28 जनवरी। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित राष्ट्रसंत घोषित भैय्यू महाराज की आत्महत्या के मामले में इंदौर की अदालत ने शुक्रवार को अंतिम सुनवाई की गई। अदालत ने मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर व सेवादार शरद और केयरटेकर शिष्या पलक को दोषी ठहराया है। अदालत ने सभी को 6-6 साल तक कारागदर में रहने की सजा सुनाई है। अदालत के आदेश में उल्लेख किया गया है कि सेवादारों ने भैय्यू महाराज को मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित किया था कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। केयर-टेकर पलक, वाहन चालक शरद औऱ मुख्य सेवादार विनायक का दोष सिद्ध, मिली 6-6 वर्ष कारागार का दण्ड…..
भैय्यू महाराज की आत्महत्या मामले की सुनवाई लगभग साढ़े तीन वर्ष तक चली। इस दौरान 32 गवाहों को सुना गया, 150 पेशी की गईं तब अपराध को प्रमाणित पाया गया। सुनवाई के बाद सत्र न्यायालय के न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने महाराज के सेवादार रहे शरद देशमुख, विनायक दुधाले और पलक पुराणिक को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का दोषी माना है। अदालत ने माना है कि आरोपित महाराज को पैसों के लिए प्रताड़ित करते थे। पैसों के लिए उन्हें ब्लैकमेल भी किया जाता था। ज्ञातव्य है कि भैय्यू महाराज ने 12 जून 2018 को अपनी कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में 19 जनवरी को साढ़े पांच घंटे सुनवाई हुई थी। इसमें ही तय हुआ था कि निर्णय 28 जनवरी को सुनाया जाएगा। ज्ञातव्य है कि भैय्यू महाराज को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में उनके सेवादार विनायक, शरद और पलक 1105 दिन से कारागार में हैं। इस तरह अब उन्हें मात्र तीन वर्ष और सजा काटनी होगी। सेवादार विनायक की जमानत को लेकर आरोपी के वकील उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं। इधर, बेटी कुहू ने अदालत के निर्णय पर अभी कुछ भी बोलने से मना कर दिया है। कुहू ने कहा है कि उचित अवसर आने पर अवश्य बोलूंगी, तब सभी को पता चल जाएगा।
इस तरह चले तर्क-वितर्क, तब हुआ निर्णय
अपर सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी के न्यायालय में दो सत्रों में साढ़े पांच घंटे तक सुनवाई चली। आरोपी विनायक की तरफ से एडवोकेट आशीष चौरे ने तर्क रखे। इससे पहले दो सप्ताह तक सरकार, शरद और विनायक की ओर से अंतिम बहस हुई थी। विनायक के वकील का तर्क था कि महाराज ने खुद को गोली मारने से पहले जो सुसाइड नोट लिखा है, उसमें ट्रस्ट की जिम्मेदारी विनायक को सौंपी थी, न कि संपत्ति उसके नाम की थी। सिर्फ इसी वजह से उसे फंसाया गया है। घटना के कुछ दिन पहले भय्यू महाराज पुणे जा रहे थे। उन्हें बार-बार किसी के फोन आ रहे थे, उसकी भी पुलिस ने उचित जांच नहीं की, वरना सही आरोपी का पता चल जाता। इससे पहले शरद के वकील धर्मेंद्र गुर्जर ने दो दिन में 10 घंटे और पलक के वकील अविनाश सिरपुरकर ने पांच दिन तक अपने तर्क रखे थे। इस मामले में 30 से अधिक गवाहों के बयान केस में हुए हैं। भैय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू और बहन समेत डॉ.पवन राठी के बयान को मामले में अहम माना गया।
सबके बाद अंत में हुए थे दूसरी पत्नी आयुषी के बायान, सबसे लंबी हुई पूछताछ
भैय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी ने कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए कई बार अलग-अलग दलीलें पेश की थीं। आरोपी पक्ष द्वारा सबसे लंबा क्रॉस एग्जामिनेशन आयुषी का किया गया था। एक बार तो आयुषी कोर्ट में बयान देते वक्त रो भी पड़ी थी। जिला न्यायालय में बचाव पक्ष के गवाह ने अपने बयान दर्ज कराए थे। जिसमें सेवादार प्रवीण ने कोर्ट के सामने कहा था कि घटना के एक माह पहले भी भय्यू महाराज अपने आप को गोली मारने की कोशिश कर चुके थे, लेकिन सेवादार ने बंदूक छिपा दी थी। जिसके बाद उनकी दूसरी पत्नी आयुषी ने फोन पर ये जानकारी मांगी कि बंदूक कहां छुपाई है। सेवादार प्रवीण घाड़गे ने आयुषी को कहा था कि यदि वह बंदूक महाराज को दे देंगे, तो वह कोई गलत कदम उठा सकते हैं, लेकिन आयुषी ने सेवादार को यह कहा था कि महाराज को शहर से बाहर जाना है। उन्हें बंदूक की जरूरत है।