लखनऊ, 19 जनवरी। समाजवादी पार्टी के संस्थापक और अब संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मालती देवी के बाद साधना गुप्ता से दूसरी शादी की थी। अखिलेश मालती देवी और मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं, जबकि प्रतीक यादव साधना और मुलायम के बेटे हैं। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वालीं अपर्णा प्रतीक यादव की पत्नी हैं। त्रकार पिता और लोकसेवक मां की बेटी हैं अपर्णा प्रतीक को कहती है हाई-स्कूल स्वीटहार्ट ….


अरविंद सिंह बिष्ट एक पत्रकार रहे हैं, उन्हें सपा की सरकार में सूचना आयुक्त बनाया गया था। अपर्णा उनकी बेटी है, उनका जन्म 1990 में हुआ था। अपर्णा की मां अंबी बिष्ट लखनऊ नगर निगम में अधिकारी हैं। मुलायम सिंह की बड़ी बहू डिंपल रावत की तरह अपर्णा बिस्ट भी उत्तरांचल के क्षत्रिय वंश से संबंध रखती हैं। अपर्णा ने लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट इंटरमीडिएट कॉलेज से अपर्णा ने पढ़ाई की है।

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में की राजनीति की पढ़ाई
अपर्णा ने ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की है। स्कूल के दिनों में ही अपर्णा और प्रतीक की मुलाकात हुई थी। लगभग आठ वर्ष प्रणय के बाद अपर्णा और प्रतीक का प्रेमविवाह हुआ था। इसीलिए अपर्णा प्रतीक यादव को अपना हाई-स्कूल स्वीटहार्ट कहती हैं। अपर्णा और प्रतीक की सगाई 2010 में हुई थी, जबकि दिसंबर 2011 में दोनों की शादी हो गई। दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम प्रथमा है। 

यादव परिवार की छोटी बहू बनी तो बढ़ी रजानीति में जाने की इच्छा

पत्रकार पिता की पालन-पोषण में अपर्णा की राजनीतिक समझ विकसित हुई। इसी रुझान ने उन्हें मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्नातकोत्तर के लिए प्रेरित किया। प्रतीक यादव से शादी के बाद अपरणा उत्तरप्रदेश के शीर्ष राजनीतिक घराने की छोटी बहू बन गईं। औऱ मुलायम सिंह के साथ सभाओं में जाने लगीं। अखिलेश के विरोध के बावजूद अपर्णा यादव ने साल 2017 का विधानसभा चुनाव लखनऊ कैंट सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा था। भाजपा की दिग्गज राजनीतिज्ञ रीता बहुगुणा जोशी के मुकाबले अपर्णा चुनाव हार गईं। उन्होंने इस हार के लिए अखिलेश यादव की उन्हें जिताने की अनिच्छा को मुख्य कारण बताया था।

विधानसभा 2017 के परिणाम के बाद से ही हो गया था सपा से मोहभंग

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के परिणाम के बाद से  अपर्णा बहुधा प्राधनमंत्री नरेंद्र  मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करने लगी थीं। वह गौ वंश के संरक्षण के लिए भी लंबे समय से आवाज बुलंद करती रहीं हैं। राम मंदिर के लिए चंदे की अखिलेश ने आलोचना की तो अपर्णा ने 11 लाख रुपये का चंदा दिया था। 

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