ग्वालियर, 18 जनवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय की ग्वालियर खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी तलब की है। दरअसल उच्च न्यायालय ने डेंगू एवं मलेरिया फैलने के समय दायर की गई जनहित याचिका को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए कोविड-19 के लिए विस्तारित कर दिया है।
मंगलवार को उच्च न्यायालय वर्चुअल सुनवाई में ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, नगर निगम के उपायुक्त अतेंद्र गुर्जर, सीएमएचओ डॉ.मनीष शर्मा और जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ.आरकेएस धाकड़ से कोरोना संक्रमण से निपटने के इंतजामों और टीकाकरण को लेकर विस्तृत जानकारी तलब की है। इस संबंध अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने बताया कि सीएमएचओ डॉ.मनीष शर्मा ने पूर्व में न्यायालय के आदेश पर प्रस्तुत पालन प्रतिवेदन में बताया गया था कि जिले की सिविल डिस्पेंसरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पतालों में पलंग ऑक्सीजन दवा आदि की क्या व्यवस्था है।
उच्च न्यायालय ने पूछी टीकाकरण, बूस्टर डोज और किशोर टीकाकरण की स्थिति
उच्च न्यायालय ने अब पूछा है कि कितने लोगों को अभी तक बूस्टर डोज लगा है एवं 12 से 18 साल तक के बच्चों के वैक्सीनेशन की क्या स्थिति है। सीएमएचओ ने बताया है कि किशोर बच्चों में मात्र छह प्रतिशत का ही टीकाकरण शेष है। वर्चुअल सुनवाई मे उच्च न्यायालय की युगल पीठ के न्यायधीश रोहित आर्य औऱ आरके श्रीवास्तव ने पूछा कि बूस्टर डोज लगवाने के लिए आपने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रचार प्रसार के लिए क्या उपाय किए हैं। इस पर सीएमएचओ ने बताया कि यह काम मुख्यालय भोपाल के सुपुर्द है।
नगर निगम के उपायुक्त अतेंद्र गुर्जर से उच्च न्यायलय की युगलपीठ ने पूछा कि डेंगू मलेरिया और कोरोना के प्रभाव को रोकने के लिए उनके द्वारा क्या प्रयास किए गए हैं। कितने इलाकों में फागिंग की गई है, और कोरोना के कारण कई लोगों की रोटी रोजी पर फर्क पड़ा है ऐसे लोगों को नगर निगम प्रशासन द्वारा किस तरह से मदद की जा रही है। प्रत्युत्तर में उपायुक्त ने बताया कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और लोगों पर इसका ज्यादा असर नहीं हुआ है।
उच्च न्यायालय का प्रश्न, कोरोना से निपटने कितने तैयर है अस्पताल
युगल पीठ ने जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ, धाकड़ से पूछा है कि उनके यहां पलंग ऑक्सीजन प्लांट और दवाओं की स्थिति क्या है। सीएमएचओ और अधीक्षक से यह भी पूछा है कि एक हजार बिस्तर वाले अस्पताल को शुरू करने के लिए मानव संसाधनों की कमी पूरी करने क्या प्रयास किए गए हैं। प्रत्युत्तर में दोनों स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने शासन को पत्र लिखा है।
उच्च न्यायालय ने कहा–कोई कमी हो तो बताएं प्रदेश सरकार को करेंगे तलब
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी होनी चाहिए न कि कमी। यदि किसी तरह की समस्या से आप लोग जूझ रहे हैं तो न्यायालय को बताएं। उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार को इस मामले में पक्षकार बनाकर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वे सीएमएचओ द्वारा अपनी रिपोर्ट में बताई गई सुविधाओं की राजस्व अधिकारियों की मदद से विवेचना कराएं और उससे भी न्यायालय से अवगत कराएं।