ग्वालियर, 14 दिसंबर। दूसरे देशों में बसे नागरिक अपने देश की कार्य-संस्कृति और नागरिक सहूलियतों के राजदूत होते हैं। उन्हें यदि लोकप्रशासन के नुमाइंदे बेवजह कायदे-कानून के फंदे में फंसा कर परेशान करेंगे तो पीड़ित के मन में तो देश में रहने के प्रति विरक्त तो पैदा होगी ही, वह अपने अनुभव दूसरों को सुनाएंगे तो सरकारी लालफीता शाही और बाबुओं की बेवजह अड़ंगेबाजी पहले से ही बेहद खराब भारतीय लोकप्रशासन की छवि पर गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा। नतीजतन पहले से ही प्रतिभा पलायन से अभिशप्त देश में पलायन की दर कई गुनी हो जाएगी। पेश है ग्वालियर की कलेक्ट्रेट में परेशान नवविवाहित कनाडा के NRI युगल के विवाह प्रमाण-पत्र हासिल करने की साल भर की जिल्लत भरी जद्दोज़हद की दास्तां…..

पंजाब के जालंधर की रहने वाली कनाडाई NRI अनुप्रीत कौर बरार का विवाह 7 नवंबर 2020 को ग्वालियर से सटे भिंड जिले के गोहद चौराहा निवासी नवजोत सिंह रंधावा से शहर गुरुद्वारा दात बंदी छोड़  साहिब में हुई थी। दोनों ने लव मैरिज का विवाह प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए आवेदन नवंबर 2020 में ही कर दिया था। विवाह पंजीकरण के प्रभारी अपर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों ने उनकी उलझी हुई स्थिति को अपने लापरवाह रवैये से और पेचीदा बना दिया। बेचारी अनुप्रीत को अब तक करीब 10 लाख रुपए खर्च कर तीन बार कनाडा से भारत आनाज-जाना पड़ा। इसके अलावा कोरोना की समस्य ने भी उसके आने जाने में उलझने पैदा कीं। विवाह प्रमाण-पत्र नहीं बनने के कारण दोनों पति-पत्नी को अलग-अलग रहना पड़ा रहा है। उनकी 4 महीने की बेटी भी इस आवाजाही से परेशान होती है। ज्ञातव्य है कि कनाडा सरकार के आब्रजन नियमों के अनुसार अनुप्रीत अपने पति को स्पॉन्सर करेगी, तभी दंपत्ति कनाडा में साथ रह सकेगा।

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