जबलपुर, 09दिसंबर। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार कर दिया। लगभग 40 मिनट तक अदालत में बहस चली। मामले में अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा, अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। पुराने आरक्षण पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने को लेकर विभिन्न लाेगों ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। सभी याचिकाओं पर गुरुवार 09 दिसंबर को एक साथ सुनवाई हुई।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश रवि मलिमथ और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने ग्वालियर बेंच में न्यायधीश रोहित आर्य की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के आदेश को यथावत रखा है। न्यायालय ने कहा–जब ग्वालियर खंडपीठ ने रोक लगाने से मना कर ही दिया था तो बेंच बदलने से क्या होगा?

याचिकाकर्ताओ का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि उच्चन्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।

पंचायत अधिनियम में संशोधन की वैधता को दी गई थी चुनौती

प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं की गुरुवार नौ दिसंबर को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने जबलपुर में एक साथ सुनवाई की। इस मामले में सबसे पहले अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया फिर ब्रम्हेंद्र पाठक व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर और अंत में आदर्शमुनि त्रिवेदी एसोसिएट की ओर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की गई। सभी याचिकाओं में राज्यपाल द्वारा अध्यादेश जारी कर पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।

याचिकाओं में आपत्ति–पुराना आरक्षण अध्यादेश निरस्त कर नया किया जारी

ज्ञातव्य है कि सरकार ने 2019-20 में पंचायत चुनाव का आरक्षण निर्धारित कर दिया था। इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई थी। पुरानी अधिसूचना को निरस्त किए बिना प्रदेश सरकार ने अध्यादेश लाकर नई अधिसूचना जारी कर दी। इस नई अधिसूचना में प्रदेश ने 21 नवंबर 2021 को आगामी पंचायत चुनाव को 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर कराने की घोषणा की है। इसी को आधार बनाकर विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने इसे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए चुनाव पर अंतरिम रोक की मांग की थी।

इनकी याचिकाओं पर हुई सुनवाई

  • वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने याचिका में पंचायत चुनाव कराने को वर्षगत आधार पर चुनौती दी थी।
  • सिंगरौली के लल्ला प्रसाद ने राज्य सरकार के अधिसूचना आदेश को चुनौती दी थी।
  • नरसिंहपुर निवासी संदीप पटेल और भोपाल निवासी मनमोहन नागर ने सात वर्ष पुराने परिसीमन और आरक्षण पर प्रस्तावित चुनाव को चुनौती दी थी।
  • सीनियर एडवोकेट और कांग्रेस लीडर विवेक तन्खा संविधान की धारा 243 C और D के उल्लंघन के आधार पर चुनौती दी थी।

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