ग्वालियर, 04 दिसंबर। मध्यप्रदेश उच्चन्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में पंचायत चुनाव संबंधी परिसीमन और आरक्षण को लेकर तीन याचिकाएं दायर की गई थीं। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की युगलपीठ में तीन याचिकाओं पर सुनवाई शनिवार को हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा पेश हुए, जबकि सरकार का पक्ष महाधिवक्ता प्रशांत सिंह और अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार को अपना पक्ष तैयार करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पंचायत राज अधिनियम में संविधान चुनाव को लेकर स्पष्ट उल्लेख है कि हर चुनाव के पहले डिटरमिनेशन और रोटेशन की प्रक्रिया अपनाई जाए, किंतु सरकार ने हाल ही में राज्यपाल के हवाले से संशोधित अध्यादेश निकाला है, उसमें 2014 के अनुरूप ही परिसीमन और आरक्षण का निर्धारण किया गया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार अध्यादेश नए निर्धारण व रोटेशन के आधार पर जारी होना चाहिए था। इस संबंध में जबलपुर व इंदौर खण्डपीठ में भी कई याचिकाएं लंबित है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि इन सभी याचिकाओं को मुख्य पीठ जबलपुर में स्थानांतरित किया जाए और तब तक अंतरिम आदेश इस चुनाव की प्रक्रिया को रोकने के लिए निकाला जाए। जवाब में सरकार के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि मामले में अंतरिम आदेश फिलहाल नहीं दिया जाए और सरकार को जवाब के लिए एक माह का समय दिया जाए। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने यदि सरकार ने चुनाव प्रक्रिया आरंभ कर दी तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। इसलिए जल्द ही इस मामले की सुनवाई नियत की जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।