
नई दिल्ली, 11 नवंबर। भारत में रह रहे ‘कट्टरपंथी-मुस्लिम’ देश की क्रिकेट में पाकिस्तन के हाथों हार पर जश्न मनाते हैं, इनकी ज़ुबां भारतमाता की जय बोलने में अकड़ जाती है, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने में जोश बढ़ जाता है। इस करतूत की निंदा करने पर कथित बुद्धिजीवी इसे हिंदुओं का कट्टरवाद निरूपित करते हैं। इन उदारवादी पाक-समर्थकों की आंखे खोलने के लिए न्यूज पोर्टल ‘ऑप इंडिया’ द्वारा दिल्ली में रह रही पाकिस्तान से आई हिंदू शरणार्थी के साक्षात्कार महज एक बानग़ी भर है। हिंदू शरणार्थी बोली–भारत से मैच में हार के बाद पाक में हिंदू महिलाओं पर होते हैं बेइंतहां ज़ुर्म….
दिल्ली के आदर्श नगर के कैंप में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों में शामिल एक महिला ने पाक के घिनौने चेहरे को बेनकाब करने का साहस दिखाया है। चाय का ठेला लगाने वाली इस महिला ने पाकिस्तन में रह रहे हिंदुओं के साथ और हैवानियत के भय के बावजूद ‘ऑप इंडिया’ न्यूज पोर्टल से इस संबंध में खुल कर चर्चा की। इस शरणार्थी ने सहमते हुए उस अत्याचार का वर्णन किया जो पाक्स्तान में हिंदुओं को लगभग प्रतिदिन झेलना पड़ता है। उसने बताया कि जब भी टीम-इंडिया के हाथों पाकिस्तान की क्रिकेट टीम पराजित हुई, पाकिस्तान में मातम जैसा माहौल हो जाता था। पराजय की ख़ुन्नस वहां के हैवान हिंदू ड़कियों पर उतारते रहे हैं। इस साहसी शरणार्थी के अनुसार हिंदू लड़कियों को उनके घरों से घसीट कर अपहरण कर ले जाया जाता है। भारत की जीत के बदले उन मासूम हिंदू लड़कियों की अस्मत सामूहिक रूप से तार-तार की जाती है, जुल्म ढाए जाते। हैवानों के हाथों अपहृत कोई लड़की कभी लौट कर घर नहीं पहुंचती।
शराणार्थी ने बताया कि इस साक्षात्कार पर उसे डर भी लग रहा है कि जब भी इसकी भनक पाकिस्तानी हैवानों को लगेगी, वहा रह रहे परिजनों व रिश्तेदारों के साथ जुल्म शुरू हो जाएंगे, उनकी हत्या तक की जा सकती है।
पुलिस-कानून बेमानी, कोई नहीं सुनता हिंदुओं की गुहार जख्म कुरेदे जाने पर उसने पांच वर्ष पुराने हादसे का स्मरण कर सिहरते हुए बताया कि जब टीम इंडिया ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया तो तीन गुजराती हिंदू लड़कियों का अपहरण कर लिया गया, वह फिर कभी वापस नहीं आईं। शर्णार्थी ने कहा–जब भी वह हारते हैं तो घिनौनी हरकतें करते हैं। यहां तक की पाकिस्तान की पुलिस भी उनके विरुद्ध कार्रवाई तो दूर शिकायत तक नहीं सुनती। लाचार होकर चुपचाप अपने घर लौट कर झेलते रहना ही तक़दीर है। भारत में 2011 से रह रही शरणार्थी ने बताया कि पाकिस्तान में रह रहे रिश्तेदारों की हमेशा चिंता लगी रहती है। रिश्तेदारों से बात करती है तो वे रोते हुए ऐसी ही कई समाचार बताते हैं। भारत में रह रही शरमार्थी कभी भी पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते।