ग्वालियर।  देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ और रियासतों के रसूख भी समाप्त हो गए। एक नए राज्य मध्यभारत ने जन्म लिया, जिसमें ग्वालियर के साथ इंदौर व अन्य 25 रियासतों का विलय कर दिया गया। इस मध्यभारत की राजधानी ग्वालियर बनी और साथ में यहां के शासक जीवाजी राव सिंधिया को नए राज्य का राजप्रमुख बनाया गया। सिंधिया को राजप्रमुख की शपथ दिलाने स्वयं उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ग्वालियर आए थे।

मध्य प्रदेश 01 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया। इस मौके पर khabarkhabaronki.com पर प्रस्तुत हैं  मप्र के इतिहास से जुड़ी कुछ अनोखी जानकारियां….

देश के स्वतंत्र होने के बाद मध्यभारत राज्य की स्थापना हुई। इस प्रदेश में 25 रियासतों का राजपाट विलीन हो गया। भारत सरकार ने तखतमल जैन को इस स्टेट का पहला मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद जीवाजी राव सिंधिया को राजप्रमुख नियुक्त किया गया।

सिंधिया को राजप्रमुख नियुक्त करने का इंदौर के होल्कर राजवंश ने जमकर विरोध किया। यशवंत राव होल्कर नहीं चाहते थे कि ग्वालियर की हैसियत इंदौर से ज्यादा हो।

सरदार पटेल ने सुलझाया रियासतों के रसूख का झगड़ा

ग्वालियर-इंदौर विवाद देश के शीर्ष राजनीतिक प्रशासकों के पास पहुंचा। अंततः उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने हस्तक्षेप कर दोनों के बीच मतभेदों को सुलझाया। भारत सरकार ने होल्कर राजवंश के यशवंत राव को उप राजप्रमुख नियुक्त कर दिया और जीवाजी राव सिंधिया को मध्यभारत का राजप्रमुख बना दिया। ग्वालियर व इंदौर दोनों को वर्ष के अलग हिस्सों में बारी-बारी से राजधानी होने का फार्मूला तय हुआ। ग्वालियर को शीतकालीन व इंदौर को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया।

प्रधानमंत्री नेहरू पहुंचे थे महाराज जीवाजी राव को राज-प्रमुख की शपथ दिलाने

मध्यभारत राज्य बनने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ग्वालियर आए थे। उन्होंने जीवाजी राव सिंधिया और यशवंत राव को शपथ दिलाई थी। उस समय राजप्रमुख का दर्जा राज्यपाल के बराबर होता था। शपथ ग्रहण के बाद तय किया गया कि ग्वालियर शीतकाल के साढ़े छह महीने राजधानी रहेगा और शेष साढ़े पांच महीने इंदौर। मध्यप्रदेश की 01 नवंबर 1956 में स्थापना हुई और मध्य भारत के साथ ही महाराजाओं के राजप्रमुख रहने का क्रम भी समाप्त हो गया।  

मध्यभारत प्रांत में शामिल थीं ये रियासतें

मध्यभारत प्रांत में प्रमुख रूप से ग्वालियर व इंदौर जैसी बड़ी रियासतों के साथ 25 दूसरी रियासतें भी शामिल की गईं थीं। छोटी रियासतों में अलीराजपुर, देवास (सीनियर), धार, रतलाम, सीतामऊ, बड़वानी, देवास (जूनियर), जावरा, सैलाना, कठ्ठीवाड़ा, नरसिंहगढ़, मुहम्मदगढ़, खनियांधाना, झाबुआ, खिलजीपुर, कुरवाई, नीमखेड़ा, पिपलौदा, दतिया, राजगढ़ व पठारी भी शामिल हुई।

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