नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। भारत में गुजरात के भावनगर में दुनिया में पहली बार IFFCO के बनाए ‘नेनो लिक्विड यूरिया’ का खेत में ड्रोन से छिढ़काव किया गया। कृषि-क्षेत्र में इस नई तकनीक के इस्तेमाल पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुशी जताई है। सिंधिया ने ट्वीट कर लिखा–ड्रोन का उपयोग कृषि क्षेत्र में विकास के नए रास्ते खोलेगा।

शुक्रवार को गुजरात के भावनगर में केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री की मौजूदगी में कृषि-क्षेत्र में दुनिया की नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर नई क्रांति की नींव रखी गई। भावनगर में IFFCO के बनाए आधुनिकतम नेनो-यूरिया के घोल का ड्रोन के माध्यम से खेत में सफल छिड़काव किया गया। IFFCO के प्रतिनिधियों ने बताया कि नेनो तकनीक यूरिया के उत्पादन में ड्रोन समेत दुनिया की आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही दुनिया में पहली बार इसके खेतों में छिड़काव के लिए ड्रोन का व्यावहारिक इस्तेमाल भी संभव कर दिखाया है।     

नेनो यूरिया उत्पादन से देश होगा आत्मनिर्भर, कम होगा अनुदान का बोझ

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस नई तकनीक पर खुशी जताते हुए कहा है कि ड्रोन का उपयोग कृषि क्षेत्र में होगा तो भारत विकास के रास्ते पर और मजबूती से आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। सिंधिया ने कहा कि तरल नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों को आर्थिक बचत होगी, उत्पादकता बढ़ेगी और यूरिया आयात पर भारत की निर्भरता समाप्त होगी। तरल  नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया का शक्तिशाली विकल्प बन कर उभर रहा है। इसकी लागत कम होने और देश में ही पर्याप्त उत्पादन होने के सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी कम होगा। साथ इसके छिड़काव में ड्रोन की व्यावहारिकात सिद्ध हो चुकी है इसलिए किसानों को परिश्रम भी कम करना पड़ेगा औऱ रसायन की विषाक्तता के ख़तरे से सुरक्षा भी मिलेगी।

केंद्र की PLI से ड्रोन उद्योगों को मिलेगी ताकत, उपल्बध होंने नए रोजगार

केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन और ड्रोन के कलपुर्जों के लिए हाल ही में घोषित उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (PLI) से अगले तीन वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की उम्मीद है। अनुमान है कि इससे उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार 2020-21 में 60 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकता है, नतीजतन आगामी तीन वर्षों में इस क्षेत्र में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होने की उम्मी

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