ग्वालियर, 29 सितंबर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में सम्राट मिहिर भोज प्रतिमा की पट्टिका पर गुर्जर लिखे जाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। गुर्जर समाज के बाद क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों ने भी बुधवार को अपने दावों के साथ संवाद माध्यमों से चर्चा की। क्षत्रिय महासभा ने गुर्जर समाज से आग्रह किया कि वह क्षत्रिय समाज के ही अंग हैं, इसलिए पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण का लाभ लेना बंद कर दें।
नगर निगम की ग़फलत से जुड़ा ‘गुर्जर’ शब्द, इसे हटाने से होगा विवाद समाप्त
क्षत्रिय महासभा ने सम्राट मिहिर भोज के क्षत्रिय होने के दावे के साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय पर पूरा विश्वास व्यक्त किया है। समाज के प्रतिनिधियों ने इस विवाद के लिए नगरनिगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि नगर निगम ने सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा की स्थापना करने का प्रस्ताव पारित हुआ उसमें कहीं भी उनकी जाति का उल्लेख नहीं किया गया, लेकिन प्रतिमा की नाम पट्टिका में गुर्जर शब्द जोड़ा जाना नगरनिगम प्रशासन की ग़फलत है। क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधियों ने मांग की कि प्रतिमा की नाम पट्टिका में गुर्जर शब्द हटाकर मात्र ‘सम्राट मिहिर भोज’ लिखा जाए तो कोई विवाद ही नहीं रहेगा। महापुरुष किसी समाज की बपौती वैसे भी नहीं होते संपूर्ण राष्ट्र के पूर्वज होते हैं।
सर्वमान्य इतिहात तथ्यः‘गुर्जर’ नहीं ‘गुर्जर-प्रतिहार’ थे सम्राट मिहिर-भोज
क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों ने नागौद रियासत द्वारा प्रस्तुत वंशावली और दूसरे ऐतिहासिक प्रमाण प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि गुर्जर प्रदेश के रक्षक होने की वजह से प्रतिहार या परिहार कहलाने वाले श्रीराम के अनुज लक्ष्मण के वंश में सम्राट मिहिर भोज का जन्म हुआ था। उन समय राजस्थान, राजपूताना या गुजराचत नाम से कोई प्रदेश नहीं थे। राजस्थान-गुजरात क्षेत्र को गुर्जर प्रदेश कहा जाता था, इसलिए इस क्षेत्र के प्रशासक गुर्जर-प्रतिहार कहलाते थे।
क्षत्रिय समाज में गुर्जरों का स्वागत, सम्राट मिहिर भोज के वंशज है तो आरक्षण छोड़ें
क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों ने गुर्जर समाज से क्षत्रियों में शामिल होने का आव्हान करते हुए उनका स्वागत किया है। क्षत्रिय महासभा ने कहा हम समस्त पिछड़े वर्ग समाजों को सहर्ष क्षत्रिय समाज में शामिल करने को तैयार हैं और आग्रह करते हैं कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाला आरक्षण लाभ छोड़ दें।