ग्वालियर, 14 सितंबर। मध्यप्रदेश की दो बेटियों ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) में देश भर में पहला और दूसरा स्थान हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन किया है। चंबल की बेटी मुरैना की नंदिनी अग्रवाल ने 800 में 614 (76.75%) अंकों के साथ AIR-1 हासिल कर चंबल अंचल के डकैतों की जन्म स्थली होने के अभिशाप को तोड़ दिया है। इंदौर की साक्षी एरन ने 613 (76.63%) अंकों के साथ AIR-2 रैंक हासिल की है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश की दोनों बेटियों और दूसरे सफल अभ्यर्थियों को बधाई दी है। पिता बोले–चंबल के लोग बेटियों को आगे बढ़ने के मौके दें, इसलिए बेटी को दी CA बनने की सीख….

चंबल अंचल कभी महज डकैतों के लिए पहचाना जाता था। यहां बेटियों का जन्म ही अभिशाप माना जाता था। दशकों के जागरुकता अभियान के बावजूद आज भी कन्या भ्रूण हत्या की मानसिकता यहां से पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकी है। उसी मुरैना की बेटी नंदिनी ने ICAI की परीक्षा में देश में प्रथम आकर चंबल के अभिशाप को तोड़ने की सशक्त पहल की है। पिता नरेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि अंचल में बेटियों पर जुल्म तो समाप्त हो गए हैं, लेकिन अब भी उन्हें पढ़ने-बढ़ने के लिए ज्यादा प्रोत्साहन नहीं मिलता इस लिए पत्नी और मैने बेटी को CA बनने के लिए प्रोत्साहित किया।

Nandini Agrawal with Brother and Mother

घर के माहौल से मिला सहयोग, समय प्रबंधन से मिली सफलता

नंदिनी के पिता नरेश चंद्र गुप्ता मुरैना में कर सलाहकार हैं और मां डिंपल गुप्ता ग्रहिणी हैं। नंदिनी ने बताया कि मां कॉमर्स में ग्रैजुएट हैं, पिता भी उसी क्षेत्र से हैं और भैया भी CA की तैयारी कर रहे थे। समूचे परिवार ने प्रेरित किया इसलिए सफलता मिली। ज्ञातव्य है कि नंदिनी के बड़े भाई को भी ICAI की प्रावीण्य सूची में 18वां स्थान प्राप्त हुआ है। नंदिनी ने 2017 में CA की प्रवेश परीक्षा दी थी। तैयारी के लिए सितंबर-2020 से पढ़ाई के लिए पूरी तरह समर्पित हो गई। प्रतिदिन 14-15 घंटे पढ़ाई की सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर हो गई। नंदिनी गुड़गांव की बहुराष्ट्रीय  कंपनी PWC और CW-भारत में आर्टिकलशिप भी कर रही थी। इस दौरान करीब 7-8 घंटे काम भी करना पड़ता था। घर आने के बाद 3-4 घंटे ही पढ़ाई हो पाती थी। लॉकडाउन के दौरान घर से काम करने का मौका मिला तो नंदिनी ने ऑनलाइन पढ़ाई की। समय-प्रबंधन के परिणाम-स्वरूप महज 19 साल की नंदिनी पहले ही प्रयास में देश में प्रथम स्थान पर पहुंच गई।

CA Topper Sakshi Aron with Parents

अंतिरिक्ष में जाने का था सपना, लेकिन जीव विज्ञान से थी अरुचि, साक्षी बन गई CA
इंदौर की रहने वाली साक्षी अंतिरिक्ष यात्री बनना चाहती थी, लेकिन 10वीं के बाद कॉमर्स विषय चुना, क्योंकि जीव विज्ञान पसंद नहीं था। अब साक्षी अगले दो साल तक कॉर्पोरेट जॉब करने के बाद MBA करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही साक्षी अमेरिका की चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट के लिए भी तैयारी कर रही हैं।

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