नई दिल्ली, 26 अगस्त। ड्रोन उड़ाने के लिए केंद्र सरकार ने नए नियम बना दिए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नए ड्रोन नियम- 2021 को पारित किया है, जो मौजूदा मानव रहित विमान प्रणाली नियम की जगह लेंगे। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को ट्वीट कर नई ड्रोन नीति के बारे में जानकारी दी है।

केंद्र सरकार ने नई ड्रोन नीति के तहत ड्रोन के लिए फॉर्म/मंजूरियों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी है। वहीं, कई और पुराने नियमों में छूट का भी ऐलान किया गया है। सरकार ने अधिसूचना जारी कर गुरुवार को यह जानकारी दी। सरकार ने 15 जुलाई को नए ड्रोन नियमों की घोषणा की थी और पांच अगस्त तक हितधारकों और उद्योग से आपत्तियां और सुझाव मांगे गए थे। हालांकि पहले ड्रोन नीति 2021 की घोषणा 15 अगस्त तक की जानी थी, लेकिन सरकार ने आम लोगों की राय जुटाने के मकसद से इस नीति में कुछ अहम बदलाव किए।

ड्रोन उड़ाने के नियमः टूटे तो देना पड़ सकता है र्1 लाख तक अर्थदण्ड

1. इन मंजूरियों की अब जरूरत नहीं: यूनिक ऑथोराइजेशन नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप आइडेंटिफिकेशन नंबर, सहमति प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान और विकास संस्थान की मंजूरी, ट्रेनी के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक की मंजूरी, ड्रोन के पुर्जों के आयात की मंजूरी।

2. नए ड्रोन नियमों के दायरे में अब 500 किलो तक भार उठा सकने वाले ड्रोन शामिल। पहले ये सीमा 300 किग्रा तक सीमित थी। इसके जरिए सरकार का पेलोड उठाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सी को बढ़ावा देने का लक्ष्य।

3. ड्रोन के लिए फॉर्म/मंजूरियों की संख्या 25 से घटाकर 5 की गईं। किसी ड्रोन का रजिस्ट्रेशन कराने या लाइसेंस हासिल करने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियों की मंजूरी की जरूरत नहीं। इसके अलावा मंजूरी के लिए फीस भी सिर्फ नाम मात्र की ही रखी गई है।

4. ड्रोन नियम, 2021 के तहत कोई नियम तोड़ने पर अधिकतम जुर्माना एक लाख रुपए तक रखा गया। हालांकि, बाकी क्षेत्र के नियम टूटने पर नए ड्रोन नियमों से अलग जुर्माना भी लग सकता है। 

5. ड्रोन्स की उड़ान का मार्ग तय करने के लिए ‘डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म’ बनाने की तैयारी। इसमें ग्रीन, यलो और रेड जोन्स के बारे में बताया जाएगा। सभी ड्रोन्स का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।

6. यलो जोन को पहले एयरपोर्ट से 45 किमी की दूरी तक तय किया गया था, अब इसे घटाकर एयरपोर्ट से 12 किमी तक किया गया। इस दायरे में ज्यादा ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने के लिए एयरपोर्ट से मंजूरी जरूरी है। हालांकि, एयरपोर्ट के 8-12 किमी दायरे में 200 फीट ऊंचाई तक ड्रोन उड़ाने के लिए अनुज्ञा अनिवार्य नहीं है। ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी तरह की मंजूरी की जरूरत नहीं।

7. ड्रोन्स का लेन-देन और डिरजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। मौजूदा ड्रोन्स के नियमितीकरण के लिए भी आसान अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही गैर-वाणिज्यिक प्रयोग में लिए जाने वाले नैनो ड्रोन्स और माइक्रो ड्रोन्स (छोटे ड्रोन्स) के लिए किसी पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। 

8. ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग और परीक्षाओं के लिए ड्रोन स्कूल की मंजूरी जरूरी। इसके लिए डीजीसीए की तरफ से मदद दी जाएगी और ड्रोन स्कूलों पर नजर रखने के साथ पायलट लाइसेंस भी ऑनलाइन देने की सुविधा होगी। हालांकि, अनुसंधान और विकास कार्यों से जुड़े संस्थानों के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस या अन्य प्रमाणपत्र अनिवार्य नहीं है। 

9. ड्रोन्स के आयात के लिए डीजीएफटी तय करेगा नियम। कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन के कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे। 

10. नो परमिशन-नो टेक ऑफ (एनपीएनटी), रियल टाइम ट्रैकिंग, जियो फेंसिंग, जैसी सुरक्षा खूबियों पर भी शीघ्र ही नए नियम घोषित किए जाएगे, इन्हें लागू कराए जाने के लिए कम से कम छह महीने का समय निर्धारित किया जाएगा। 

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