नई दिल्ली, 06 अगस्त। ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम को कांस्य पदक के लिए खेले मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के हाथों 3-4 से नज़दीकी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन विश्व-वरीयता में अपने से बहुत ऊंची और रियो को स्वर्ण-पदक विजेता टीम को भारत की बेटियों ने खेल के अंतिम सैकंड तक सांसत में डाले रखा। ब्रिटिश लड़कियों को खेल के अंतिम क्वार्टर के अंतिम चरण तक जीत के लिए जूझना पड़ा। भारत की बेटियों का ऐसा प्रदर्शन तब रहा जब उन्हें पहली बार सेमीफायनल में प्रवेश किया, और ग्रुप मैच में ब्रिटिश टीम से 1-4 की हार झेली थी।   

टोकियो ओलोंपिक में भारतीय टीम ने कांस्य पदक के लिए लिए खेले गए मैज में ब्रिटेन को अंतिम क्षणों तक कड़ी टक्कर दी। रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली ग्रेट ब्रिटेन को भारत के खिलाफ मैच जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। एक वक्त 3-2 पिछड़ रही ब्रिटिश टीम आखिरी क्वार्टर के अंतिम पलों में ही बढ़त बना पाई।

तीन हारों के बाद हुई वापसी और दिग्गज टीमों को हरा पहुंची सेमीफायनल में

पहले ओलंपिक मैच में नीदरलैंड के हाथों 1-5 की करारी हार, फिर एक के बाद एक जर्मनी से 0-2 और ब्रिटेन से 1-4 की लगातार पराजयों के बाद भी पहली बार ओलंपिक खेल रही भारत की बेटियों ने जो वापसी की और सेमीफायनल से कांस्य पदक तक के मुकाबलों की सफर तय किया।

चौथे मैच से हुई फीनिक्स की तरह वापसी, टीम ऑस्ट्रेलिया पर जीत ने बढ़ाया आत्मविश्वास

भारतीय टीम का चौथा करो या मरो का मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से हुआ इस मुकाबले में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और यह मैच 4-3 से अपने नाम किया। अफ्रीका के बाद भारत का सामना तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से हुआ जिसने ग्रुप मैचों में एक भी मुकाबला नहीं हारा था। सभी को यही लगा था कि भारत इस मुकाबले में हार जाएगा पर भारत की बेटियों ने सभी को दंग करते हुए चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हरा दिया। भारत की इस जीत के बाद सभी सन्न रह गए थे, किसी को भी यह भरोसा नहीं था कि भारतीय महिला हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफाइनल में पहुचं जाएगी। इस तरह उनकी हार भी दिल जीतने में कामयाब रही। टीम इंडिया भले ही कांस्य पदक नहीं जीत पाई हो, लेकिन उसने टोक्यो में अपने अभियान का अंत चौथे स्थान पर रहकर किया।

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