
जबलपुर, 27 जुलाई। मध्यप्रदेश में फिलहाल नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में अभी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत प्रत्युत्तर में बताया कि अभी सीमांकन, आरक्षण और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराने को लेकर कई याचिकाएं उच्च व उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। साथ ही आयोग तीसरी लहर के आकलन और राज्य सरकार की सहमति मिलने के बाद ही चुनाव का निर्णय ले सकेगा। इस जबाव के बाद उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने इस संबंध में दायर याचिका का निराकरण कर दिया।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में तत्संबंधी याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने दायर की थी। याचिका कर्ताओं की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने की। याचिका में कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 15 जुलाई को बैठक कर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी कराने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत राज्य में 15 सितंबर से 347 नगरीय निकायों और दिसंबर से प्रदेश में पंचायतों के चुनाव की तैयारी शुरू करने को कहा गया है। गौरतलब है सुनवाई के दौरान चुनाव की प्रक्रिया संबंधी तैयारियों और तीसरी लहर के मद्देनज़र चिंता जताई गई थी। इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने याचिका का निराकरण किया।
कोरोना की तीसरी लहर और UP पंचायत चुनाव के नतीजों ने बढ़ाई आयोग की चिंता
युगलपीठ के समक्षसुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में हुए चुनाव और उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए आशंका जताई गई थी कि अगर मध्यप्रदेश में प्रस्तावित निकया चुनाव अगर हुए तो प्रदेश के पूरे सरकारी तंत्र को इसमें जुटना पड़ेगा। इस दौरान अगर कोरोना की तीसरी लहर प्रभावी हुई तो स्थितियां नियंत्रित करना कठिन हो जाएगा। याचिका में मांग की गई थी कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव तब तक रोके जाने चाहिए, जब तक कोरोना की तीसरी लहर को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती।
उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगल पीठ ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव और राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने पक्ष रखा। युगल पीठ को बताया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग की अभी निकाय चुनाव कराने को लेकर कोई तैयारी नहीं है। अभी कई याचिकाएं विभिन्न कोर्ट में लंबित हैं। उसके निराकरण और कोरोना के आकलन के बाद ही निकाय चुनाव कराए जा सकेंगे। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने इसी आधार पर जनहित याचिका का निराकरण कर दिया।