ग्वालियर, 17 जुलाई। दतिया के एक गांव से चली आ रही जान-पहचान ग्वालियर में एक बार फिर मुलाकात होते ही दोस्ती में बदली और बाद में विवाह की सीमाएं लांघ कर प्रेम संबंधों में तब्दील हो गई। संबंधों की भनक दुनिया को लगी और तोहमतें मिलने लगीं। जब एक होने में विवाह और संतानों की जिम्मेदारी आड़े आने लगी तो दोनों ने एक साथ खुदकुशी कर ली। दोनों के सर कटे शव शुक्रवार देर रात रेलवे ट्रैक पर मिले। सुबह उनकी पहचान बहोड़ापुर में रह रहे मिथेलेश कुशवाह और सोनू नामदेव के तौर पर हुई। काज-बटन की दोस्ती प्रेंम में बदली तो एक न हो पाने की मजबूरी देख कर ली खुदकुशी….

दतिया के एख गांव की रहने वाली 45 वर्षीय मिथिलेश का विवाह ग्वालियर में बहोड़ापुर के किशनबाग में रह रहे आशाराम से हुई थी। दोनों के एक बेटी व एक बेटा है। आशाराम पानी की टिक्की बेच कर परिवार का निर्वाह करता है।  कुछ साल पहले दतिया का 36 वर्षीय सोनू नामदेव भी किशनबाग में ही रहने लगा। वह शर्ट सिलाई का काम करता था। सोनू और मिथिलेश एक ही गांव के थे, और विवाह से पूर्व मिथिलेश व सोनू की अच्छी जान-पहचान थी। घर की माली हालत सुधारने मिथिलेश ने सोनू की सिली शर्टों में काट-बटन लगाने का काम शुरू कर दिया। इस दौरान सोनू-मिथेलेश के बीच नज़दीकियां बढ़ गईं। उनका मेलजोल व नजदीकियां मोहल्ले को रास नहीं आ रहीं थीं। इसके अलावा मिथिलेश का विवाहित औऱ दो बच्चों की मां होना भी सोनू के साथ विवाह की बाधा था। आखिरकार दोनों के सर कटे शव मऊ-जमाहर रेलेवे क्रॉसिंह पर शुक्रवार देर रात पड़े मिले। पुलिस ने शरीर के हिस्से इकट्ठे किए तो दोनो की पहचान हो गई।

सोनू के घर 15 दिन से लगा ता ताला, दो दिन पहले मिथिलेश भी हो गई गायब

प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला कि सोनू नामदेव 15 दिन पहले कमरे का ताला लगाकर कहीं चला गया था। जबकि दो दिन पहले मिथिलेश भी कपड़े सिलाई और काज-बटन का भुगतान लेने की सूचना दे कर महाराज बाड़े गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। पति आशाराम ने उसके लापता होने की जानकारी बहोड़ापुर थाने में दी थी। सोनू-मिथिलेश के संबंधों के बारे में सवाल किए जाने पर आशाराम ने कहा-वह दिन भर के लिए काम पर चला जाता ता, उसके पीछे क्या होता था उसे नहीं पता।

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