ग्वालियर, 09 जुलाई। अजबMPमेंकुछ भी गजब हो सकता है। एक शराब फैक्ट्री ने 100X1500 वर्गफीट की नहर को ही अपने कब्जे में ले लिया, और प्रशासन देखता रह गया। जल संसाधन विभाग तीन बार चेतावनी भरे नोटिस दे चुका है, लेकिन जिला प्रशासन मौन है, इसलिए फैक्ट्री प्रबंधन भी दबंगई पर उतारू है। शराब-फैक्ट्री की दादागिरी से जिला प्रशासन भी सहमा, सिंचाई विभाग की नहर ही कब्जाई….

ग्वालियर के रायरू में स्थापित शराब फैक्ट्री की दबंगई लंबे अरसे से विवादों में रहती आई है। कई बार इसके विरुद्ध किसानों के आंदोलन हो चुके हैं, लेकिन सब दबा दिए गए। डिस्टिलरी से निकले विषैले अपशिष्टों ने किसानों के खेतों को बंजर बना दिया, लेकिन प्रशासन ने किसानों की एक न सुनी। परिणाम स्वरूप बेचारे किसान अपने सोना उगलते खेत डिस्टिलरी को औने-पौने दामों में बेच कर विस्थापित होगए। इस बार तो फैक्ट्री प्रबंधन ने गज़ब दुस्साहस दिखाया है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के जल-संसाधान विभाग की नहर को ही अतिक्रमित कर डाला है। दबंगई इतनी कि विभाग अपनी नहर और उसके आसपास की जमीन को मुक्त नहीं करा पा रहा है। अब तक तीन बार शराब फैक्ट्री के प्रबंधन को नोटिस जारी किए जा चुके हैं, दबंगई के आसवनी नशे में मदमस्त प्रबंधन हर नोटिस को ठोकरों पर रख जल संसाधन विभाग उसकी हदें समझा रहा है। उनका दुस्साहस इसलिए और बढ़ा हुआ है, क्योंकि जिला प्रशासन के कानों पर जल संसाधन विभाग की आवाजों से जूं तक नहीं रेंग रही है।

किसानों को मजबूर कर किनारों की जमीन खरीदी, फिर नहर पर जमाया कब्ज़ा

ज्ञातव्य है कि तिघरा बांध से निरावली होते हुए बानमोर कस्बे तक जल संसाधन विभाग की एक नहर प्रवाहित होती थी, जिसके ज़रिए किसान अपनी ज़मीन की सिंचाई करते थे। शराब फैक्ट्री प्रबंधन की शातिर रणनीति ने पहले अपने विषैले अपशिष्टों से जमीनों को बंजर बनाया, फिर किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठाकर नहर के आसपास की सारी तटीय जमीनें किसानों से औनेपौने दामों में खरीद लीं। आसपास की ज़मीन जैसे ही फैक्ट्री प्रबंधन के कब्जे में आई, प्रबंधन ने अपनी रंगदारी दिखाते हुए किसानों की फसलें सींचने वाली बेशकीमती सरकारी नहर पर भी कब्जा कर चारदीवारी बना ली है।

बारिश की कमी से सूखी, बारिश हुई तो किसानों तक कैसे पहुंचेगा सिंचाई का पानी?

बीते कुछ सालों से मानसून इस क्षेत्र से रूठा हुआ है, इसलिए तिघरा बांध से पानी सिर्फ पेयजल के भेजा जा रहा है। परिणाम स्वरूप नहर से सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति फिलहाल रोक दी गई है। इसका फायदा शराब फैक्ट्री प्रबंधन ने उठाया है। ज्ञातव्य है कि शराब फैक्ट्री प्रबंधन ने नहर के आसपास जमीनों को सूखे और फैक्ट्री की बढाई बंजरता से मजबूर किसानों से खरीद लिया है। सरकारी नहर को कानून ख़रीदा नहीं जा सकता, औऱ फिर सरकारी तंत्र जब जेब में हो तो खरीदने की जरूरत ही कहां है, प्रबंधन ने 100X1500 वर्गफीट नहर को भी अपनी ज़मीन में शामिल कर चारदीवारी बना ली।

कुछ दिन पहले सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने अधीनस्थों को जमीन की पैमाइश कराकर फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस देने के निर्देश दिए थे। नोटिस दिए भी गए, तीन बार, लेकिन शराब फैक्ट्री प्रबंधन को इनसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। कब्जा हटाना तो दूर अब तो उन्होंने नहर को लगभग समतल कर उसका अस्तित्व ही मिटा डाला है। जब जिला प्रशासन को ही इस बात की चिंता नहीं है कि जब बारिश पर्याप्त होगी तो बचे-खुचे किसानों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी कैसे भेजा जाएगा, तो भला फैक्ट्री प्रबंधन इस बात की चिंता करते हुआ दुबला क्यों हो। जल संसाधन विभाग को कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन के भरोसे रहना पड़ता है, लेकिन तीन-तीन नोटिसों के बावजूद जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार मामला उनके संज्ञान में ही नहीं है। गौरतलब है कि फैक्ट्री आदिल बापुना द्वारा संचालित है। यहां कई ब्रांड की शराब बनाई जाती है। बानमोर कस्बे में बापुना की बीयर फैक्ट्री भी है।

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