नागौर(राजस्थान), 02 जुलाई।  नागौर के हेमपुरा गांव में तीन दिन पहले 21 साल की विवाहिता सुमन चौधरी ने कुएं में कूद कर जान दे दी थी। सुमन की मौत के बाद उसका सुसाइड नोट अब वायरल हो गया है। ग्रेजुएट सुमन ने अपनी मौत का जिम्मेदार समाज और समाज में चल रही ‘आटा-साटा’ कुप्रथा को ठहराया है। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि सुमन को अपने दो भाइयों और उनके दो सालों की शादी टूटने से बचाने के लिए आत्महत्या का मार्ग चुनना पड़ा है। दरअसल राजस्थान के कुछ इलाकों में शादी की आटा-साटा कुप्रथा ने पढ़ी लिखी सुमन चौधरी की जान लेली। आटा-साटा के चक्रव्यूह में सुमन के भाइयों और उनके सालों को तो दुल्हनें मिल गई, लेकिन दो साल पूर्व ग्रेजुएट सुमन को भाभियों के अनपढ़ चरवाहे भाई से शादी करनी पड़ी। सुमन का सौरभ इस शादी के बाद मंद पड़ गया था। वह अनपढ़ पति के सान्निध्य से इतनी नाराज थी कि उसने सुसाइ नोट में पति से मुखाग्नि का अधिकार छीनते हुए लिखा है–मेरी चिता को मेरा छोटा भाई अग्नि दे। वायरल हुआ सुसाइड नोट, सुमन ने लिखा–मेरी मौत का जिम्मेदार समाज….

सुमन ने लिखा–सभी भाइयों को राखी की सौगंध, अपना घर बसाने बहन की जिंदगी बर्बाद न करें

सुमन की मौत के बाद उसका सुसाइड नोट खूब वायरल हो रहा है। इसमें उसने  लिखा है–मेरा नाम सुमन चौधरी है। मुझे पता है सुसाइड करना गलत है, पर सुसाइड करना चाहती हूं। मेरे मरने की वजह मेरा परिवार नहीं, पूरा समाज है, जिसने आटा-साटा नाम की कुप्रथा चला रखी है। इसके कारण लड़कियों को जिंदा मौत मिलती है। इसमें लड़कियों को समाज के समझदार परिवार अपने लड़कों के बदले बेचते हैं। आप समाज के लोगों की नजरों में तलाक लेना गलत है, परिवार के खिलाफ शादी करना गलत है, तो फिर यह आटा-साटा भी गलत है। आज इस प्रथा के कारण हजारों लड़कियों की जिंदगी और परिवार पूरे बर्बाद हो गए हैं। इस प्रथा के कारण पढ़ी-लिखी लड़कियों की जिंदगी खराब हो जाती है। इसी प्रथा के कारण 17 साल की लड़की की शादी 70 साल के बुजुर्ग से कर दी जाती है। केवल अपने स्वार्थ के कारण। मैं चाहती हूं, मेरी मौत के बाद यह मेरी बातें बनाने की जगह, मेरे परिवार वालों पर उंगली उठाने की जगह, इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं। इस प्रथा को बंद करने के लिए शुरुआत करनी होगी। मेरी हर एक भाइयों को अपनी बहन राखी की सौगंध, अपनी बहन की जिंदगी खराब करके अपना घर न बसाए। आज इस प्रथा के कारण समाज की सोच कितनी खराब हो गई है कि लड़की के पैदा होते ही तय कर लेते हैं कि इसके बदले किसकी शादी करानी है।

आटा-साटाः बहन पैदा होते ही तय हो जाती है भाई की दुल्हन, बहन का दूल्हा

आटा-साटा एक सामाजिक कुप्रथा है। इसके तहत दुल्हन के ससुराल में आते ही दूल्हे की बहन की शादी दुल्हन के भाई से करनी होती है। इसमें दूल्हा-दुल्हन के गुण-धर्म, रूप-सौंदर्य और योग्यता का नहीं ध्यान नहीं रखा जाता। इस प्रथा में लड़की के बदले लड़की की सौदेबाजी होती है। राजस्थान के इस क्षेत्र में समाज में कन्या भ्रूण-हत्या की पुरानी कुप्रथा से लड़कियों की बेहद कमी हो गई है। इसलिए कई समाज में आटा-साटा की सामाजिक सौदेबाजी को अनौपचारिक मान्यता दे दी गई है। इसके कारण पढ़ी-लिखी युवा लड़कियों की शादी अनपढ़ और उम्रदराज पुरुषों से करनी पड़ती है

इस तरह आटा-साटा में फंसी महकती-चहकती सुमन

सुमन की शादी दो साल पूर्व भुनी गांव के बकरियां चराने वाले नेमाराम से हुई थी। दरअसल सुमन की शादी के बदले नेमाराम की दो बहनों की शादी सुमन के  भाइयों के लिए तय दुल्हनों के भाइयों से लिचाना गांव में कराई गई। इनकी लिचाना गांव में शादी कराई गई। इसके बदले सुमन के दो भाइयों को दुल्हनें मिलीं। इस तरह सुमन की अनपढ़ से शादी के बदले चार युवकों को दुल्हनें मिलीं थीं। इस प्रथा की एक शर्त के अनुसार अगर आटे-साटे की एक भी दुल्हन पति से अलग होती है तो इसके बदले में हुईं सभी शादियों की सौदेबाजी टूट जाती है। जाहिर है सुमन अपने अनपढ़ पति से तलाक लेती तो उसके दो भाइयों व उनके दो सालों की शादी भी टूट जाती। सुमन अपने अनपढ़ पति के साथ कतई नहीं रहना चाहती थी। सामाजिक व पारिवारिक दबाव से डिप्रेशन में आई सुमन ने कुएं में कूदकर जान दे दी।

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