ग्वालियर, 29 जून। जीवाजी यूनिवर्सिटी के ‘सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च’ की टीम ने मौसमी फलों और पत्तियों से 10 प्रकार के आसव (वाइन) बनाए हैं। दावा है कि इन आसवों से कैसंर, डायबिटीज व कॉलेस्ट्रॉल बढने जैसे लाइफ-स्टाइल रोगों पर नियंत्रण तो किया ही जा सकता है, साथ ही स्वस्थ व्यक्त की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है। इनके मौसम के अनुरूप नियमित व संयमित सेवन से आयु-जनित दुष्प्रभाव भी नियंत्रित किए जा सकते हैं। शराब का शौक है तो पिएं JU में बने मौसमी फलों के आसव, बढ़ाएं आयु रहें निरोग….
पौराणिक आख्यानों में देवताओं के सोमरस पान का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि अमृत पीकर देवता अमर हो गए, किंतु हर मौसम में विशेष औषधीय लताओं और फलों से बने सोमरस उन्हें ऊर्जावान बनाए रखता था। आयुर्वेद में भी प्राकृतिक किण्वन से बने औषधीय आसवों को अलग-अलग रोगों के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है। पाश्चात्य पद्धतियों में रेड, रोज औऱ व्हाइट वाइन को भी कुछ हद तक निरापद व स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है। जीवाजी युनिवर्सिटी ‘सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल रिसर्च’ के प्रो.जीबीके प्रसाद और उनकी शोध विद्यार्थियों ने आयुर्वेदिक सिंद्धांतों का आधुनिकीकरण करते हुए मौसमी फलों और औषधीय वनस्पतियों से कई तरह के आसव बनाए हैं। इनमें 8-14 प्रतिशत तक एल्कोहल होता है, किंतु इनके सेवन से नशा तो चढ़ता ही नहीं है, साथ हीं रोग शोधन भी होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यदि कोई शराब का शौकीन है तो इन आसवों के पीने से शौक भी पूरा हो जाता है, और नुकसान की जगह आशातीत लाभ भी होते हैं।
पेटेंट की कोशिश और आयुर्वेदिक दवा कंपनियों से चल रही है विपणन की चर्चा
प्रो. प्रसाद का दावा है कि इतने तरह की शराब देश की किसी भी यूनिवर्सिटी की लैब में तैयार नहीं की गई है। आम के पत्तों के आसवों समेत कुछ का पेटेंट कराया जा रहा है। कुछ आयुर्वेदिक दवा कंपनियों एवं ऊर्जा-पेय बनाने वाली कंपनियों से JU में विकसित आसवों के विपणन की चर्चा चल रही है।
JU के किन आसवों में हैं क्या स्वास्थ्य-वर्धक गुण
- पपीते के पत्ते की शराब – पपीते के पत्तों में पपाइन, कीयो पपाइन, कोमेरिन व एंटी डायबिटिक गुण होते हैं।
- जैतून के पत्ते की शराब – एंटी डायबिटिक
- सीताफल के पत्ते की शराब - एसिटोजेनिन, रियूटिन जैसे तत्व इसे सेहत के लिए अच्छा बनाते हैं, इसमें कैंसर रोधी गुण होते हैं।
- अमरूद के पत्ते की शराब – एविनोइड, अल्फा केडिनॉल, नेरिन जेनिन तत्व होते हैं, जो दोनों तरह की डायबिटीज को नियंत्रित करते हैं।
- आम के पत्ते की शराब – इसमें मैग्नीफेरिन, बेंजोफिनॉल, जैंथाेन जैसे बायोएक्टिव तत्व होते हैं जों कैंसर की रोकथाम करते हैं।
- आंवला – गैलिक एसिड, इलेजिक एसिड तत्व इम्युनिटी बढ़ाते हैं और कैंसर व तंत्रिका तंत्र की बीमारियों से रक्षा करते हैं।
- बेल : मार्मिलोसिन, कोमेरिन आिद तत्व पाचन शक्ति ठीक कर शुगर को नियंत्रित करते हैं।
- जामुन : इसमें मौजूद तत्व डायबिटीज को नियंत्रित करते हैं।
- सेव : हाइड्रोसिनेमिक एसिड, केटेकिन जैसे तत्व हृदय से जुड़ी बीमारियों को कम करते हैं।
- गिलोय : टीनोकार्डियो आदि तत्व इम्युनिटी लेवल बढ़ाते हैं।
JU में ऐसे बनाए जाते है औषधीय आसव
पत्तों या फलों को साफ पानी से धोकर पानी में डाल देते हैं फिर उस को पीसकर उसमें गुड़ एवं खमीर मिलाकर 15 दिन के लिए रख दिया जाता है। उसके पश्चात फिल्टर करके 4 डिग्री सैल्सियश तापमान पर भंडारण किया जाता है। प्रो.प्रसाद के अनुसार चूहों पर इन आसवों का उपयोग करने के बाद पाया गया कि यह रक्त शर्करा को कम कर कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करती है। इन आसवों में एंटी डायबिटिक, एंटी कैंसर, एंटीऑक्सीडेटिव, एंटी इनफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं।