ग्वालियर, 23 जून। दिल्ली निवासी एक हैल्थकेयर RTI कार्यकर्ता ने ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज में एक जानकारी के लिए आवेदन किया। इस आवेदन में 1994 बैच के MBBS विद्यार्थियों की प्रवेश संबंधित जानकारी मांगी गई थी। लंबी आनाकानी के दौरान GRMC ने एक अजब बहाना भी बनाया। चिकित्सा विज्ञान पढ़ा रहे संस्थान के प्रबंधन ने RTI कार्यकर्ता को बताया कि रिकार्डरूम भुतहा है, इसलिए कोई वहां जाता नहीं है। RTI आवेदन का 3 साल बाद भी निराकरण नहीं, मांगे से 1994 बैच के प्रवेश संबंधी अभिलेख….

दिल्ली के हैल्थकेयर RTI एक्टिविस्ट पंकज जैन को सूत्रों से सूचना मिली थी कि GRMC के 1994 बैच में प्रवेश पाए कई विद्यार्थियों के मूल निवासी प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की गई है। अपनी जानकारी के परीक्षण के लिए पंकज ने सूचना का अधिकार के तहत इस बैच के प्रवेश संबंधी जानकारी GRMC से सितंबर 2018 में मांगी। पंकज को वांछित जानकारी नहीं दी गई, इस दौरान पंकज को सूत्रों से पता चला कि GRMC में 1994 ही नहीं कई और बैच के अभिलेख भी खो चुके हैं या नष्ट कर दिए गए हैं। इस पर पंकज ने मध्यप्रदेश सूचना आयोग में भी अपील की, लेकिन वादा करने के बावजूद वांछित दस्तावेज मुहैया नहीं कराए। मध्यप्रदेश सूचना आयोग ने भी पंकज जैन की शिकायत को निराकृत की श्रेणी में डाल दिया।

GRMC की बहानेबाजियां–CBI ने सीज किए हैं अभिलेख, कभी क्लर्क की भूत है रिकार्डरूम में  

पंकज जैन को RTI के जवाब में GRMC ने अभिलेख मुहैया नहीं कराने के लिए अजब-गजब बहाने प्रस्तुत किए। GRMC ने कभी कहा रिकार्ड CBI ने जब्त कर लिए हैं, कभी बताया कि डीलिंग क्लर्क को CBI ने गिरफ्तार कर लिया है। एक जवाब तो ऐसा है जो किसी चिकित्सा विज्ञान के प्रंबंधन से अपेक्षित नहीं है। प्रबंधन ने एक बार अजीब बहाना बनाया, कहा–डीलिंग क्लर्क ने अभिलेख कक्ष में ही आत्महत्या कर ली थी, और तब से वह कक्ष भुतहा हो चुका है, उसमें प्रवेश तो दूर, कोई ताला खोलने से भी डरता है। वर्तमान GRMC डीन, डॉ.समीर गुप्ता से इस संबंध में जानकारी चाही गई तो उन्होंने इस संबंध में किसी भी तरह की जानकारी से इनकार कर दिया।     

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