ख़बर ख़बरों की डेस्क, 04 अप्रेल। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शनिवार को सुरक्षा बलों के समूह को घेर कर किए गए आक्रमण में 24 जवानों के बलिदान ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया हैं। नक्सलियों का यह तांडव रविवार को भी जारी रहा, किंतु संभल चुके सुरक्षा बलों ने रविवार को 15 नक्सली ढेर कर दिए। आइए जानने का प्रयास करते है कि आखिर ये आक्रमण जनवरी से जून के बीच अधिक क्यों होते है, और इनका षडयंत्रकर्ता कौन है….?

सुरक्षा बलों के 700 जवानों के समूह को घर कर मारने के षड़यंत्र का सूत्रधार कौन है, यह अब तक रहस्य ही है। फिर भी स्थानीय सूत्र नक्सलियों के षड़यंत्रों को गढ़ने वाला मस्तिष्क किसे मानते हैं, और इसके लिए वर्ष की किस अवधि में और क्यों होते हैं यहां सब कुछ जानेंगे।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले में अबतक 22 जवानों के शव बरामद हुए हैं और एक जवान के बारे में अब तक कोई जानकारी नही मिल सकी है। इस आक्रमण का सूत्रधार शीर्ष नक्सल नेतृत्वकर्ता और षड़यंत्रकर्ता हिडमा को माना जा रहा है। पूर्व के कई आक्रमणों में सम्मिलित रहा हिडमा निर्मम हत्याओं के लिए कुप्रसिद्ध है। शनिवार को हुए बीजापुर आक्रणण के पीछे सोचे-समझे षड़यंत्र का योजनाकार भी हिडमा को ही माना जा रहा है।

सींकिया शरीर वाला हिडमा है PGLA का मस्तिष्क, निर्दयता से करता है हत्या

लगभग 40 वर्ष का दुला-पतला हिडमा सुकमा जिले के पुवार्ती गांव का रहने वाला है। उसने 90 के दशक में नक्सली हिंसा का मार्ग पकड़ा, तबसे कई निर्दोष स्थानीय लोगों के साथ जवानों की हत्या कर चुकै है। हिडमा माओवादियों की पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) बटालियन-1 का प्रमुख है। वह माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ)  का भी  सदस्य है। हिडमा CPI(M) की 21 सदस्यीय केंद्रीय समिति का सदस्य भी है। स्थानीय सूत्र यह भी मानते हैं कि उसे माओवादियों के सैन्य आयोग का प्रमुख भी नियुक्त किया गया है। हिडमा हमेशा छिपकर रहता है उसका कोई अद्यतन चित्र भी उपलब्ध नहीं है। उस पर 40 लाख का पुरस्कार घोषित है। हिडमा के पास AK-47 जैसे खतरनाक हथियार हैं, और उसके दल में लगभग 180-250 तक नक्सली हैं, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। भीम मांडवी की हत्या के मामले में NIA ने उसके विरुद्ध अपराध पत्र भी पंजीबद्ध किया है। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला हिडमा का गढ़ है, जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों को हिडमा संचालित करता है। कद काठी में दुबले पतले हिडमा का नक्सली संगठनों में कद काफी बड़ा है। राज्य गठन के दो दशक बाद भी हिडमा के गांव पुवार्ती में विद्यालय तक नहीं है। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से घिर हुआ है।  यहां आज भी नक्सलियों की जनताना सरकार की तूती बोलती है। बताया जाता है कि नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी नीति और रणनीति यह पर तैयार होती है।

अनपढ़ होने के बाद भी बोलता है फर्राटेदार अंग्रेजी
हिड़मा का पूरा नाम मांडवी हिडमा उर्फ इदमुल पोडियाम भीमा है। वह सुकमा जिले के जगरगुंडा इलाके के पुड़अती गांव का निवासी है। अनपढ़ होने को बावजूद वह न सिर्फ फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है, बल्कि कंप्यूटर का भी जानकार है। उसे गुरिल्ला वार में महारत हासिल है। उसने दो शादियां की हैं। इसकी पत्नियां भी नक्सल गतिविधियों में शामिल हैं। हिडमा के तीन भाई हैं। इनमें से मांडवी देवा और मांडवी दुल्ला गांव में खेती करते हैं। तीसरा मांडवी नंदा गांव में नक्सलियों को पढ़ाता है। हिडमा की बहन भीमे दोरनापाल में रहती है।

जनवरी से जून तक के महीने में नक्सलियों का खास अभियान
हिडमा ने अपने अनुभव के आधार पर जनवरी से जून के महीने की अवधि को अपने टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव (TCOC) अभियान संचालन के लिए चुना है। इस अवधि में नक्सल समूह सुरक्षाबलों को घातक हमलों का लक्ष्य बनाते हैं। इसका कारण है कि इस अवधि में पतझड़ से जंगलों के वृक्ष पत्रविहीन हो चुके होते हैं, और सुरक्षाबलों की गतिविधियां सुरक्षित ठिकानों पर छिपे नक्सलियों को साफ नजर आती हैं। दूर बैठकर ही नक्सली सुरक्षाबलों की गतिविधियां को समझ कर आक्रमण को योजना बान लेते हैं। इस अवधि में नक्सलियों ने दर्जनों TCOC अभियान संचालित कर जवानों का जीवन लिया है। ज्ञातव्य है कि विगत वर्ष मार्च में सुकमा में नक्सलियों ने 17 लोगों की हत्या की थी। अप्रैल 2019 में नक्सलियों ने भाजपा विधायक भीमा मांडवी, उनके ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी। इसी तरह अप्रेल 2010 में तडमेटला में 76 जवानों को नक्सलियों ने घात लगा कर मार डाला था।

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