ग्वालियर, 01 मार्च। आरक्षक भर्ती परीक्षा मामले में CBI की विशेष अदालत ने तीन आरोपियों को 5-5 साल की कैद और तीनों पर 3200 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। सजा प्राप्त दो आरोपी मुरैना जिले के जौरा कस्बे के निवासी हैं, जबकि तीसरा उत्तरप्रदेश का है।

सजा टालने की चालाकी में 3 में से 1 आरोपी हुआ गैर-हाजिर

आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में शामिल होने वाला अभ्यर्थी हरिपाल सिंह बिचौलिया कृष्णकांत त्यागी और फर्जी परीक्षार्थी प्रेमपाल सिंह को मामले की सुनवाई कर रही CBI की विशेष अदालत में हाजिर होना था। सजा टालने के लिए एक आरोपी कृष्णकांत त्यागी ने फैसले वाले दिन खुद को एक मामूली अपराध में मुरैना जिले के जौरा में गिरफ्तार करा लिया था। उसकी कोशिश थी कि उसके कोर्ट नहीं पहुंचने पर विशेष कोर्ट इसलिये सजा नहीं सुना पाएगी, क्योंक एक ही मामले के तीनों आरोपियों का सुनवाई में एक साथ मौजूद रहना ज़रूरी है। हालांकि उसका यह साजिशी मंसूबा व्यर्थ हो गया। दरअसल सीबीआई की विशेष अदालत के  न्यायाधीश सुरेंद्र श्रीवास्तव ने साजिश भांप ली और बिचौलिए कृष्णकांत त्यागी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई से जोड़ लिया। आरोपी हरिपाल सिंह और प्रेमपाल सिंह कोर्ट में मौजूद थे। तीनों की मौजूदगी सुनिश्चित होते ही जज ने उन्हें 2012 में आरक्षक भर्ती परीक्षा का दोषी मानते हुए पांच-पांच साल की कैद और 3200 रुपए के अर्थदंड की सजा सुना दी।

यह है मामला

ग्वालियर के माधवगंज थाना क्षेत्र के शासकीय पागनवीसी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 30 सितंबर 2012 को आरक्षक भर्ती परीक्षा के लिए लिखित एग्जाम हुआ था इसमें अभ्यर्थी हरिपाल सिंह की जगह उत्तरप्रदेश निवासी प्रेमपाल सिंह सॉल्वर बनकर शामिल हुआ था। फोटो मिस मैच होने पर जब पागनवीसी स्कूल के स्टाफ ने प्रेमपाल को पकड़ा तो उसने बता दिया कि बिचौलिए कृष्णकांत त्यागी ने 10,000 रुपए देकर उसे परीक्षा के लिए भेजा था। माधवगंज थाने में तीनों के विरुद्ध परीक्षा अधिनियम और धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे।

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