नई दिल्ली, 25 फरवरी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्रीय मंत्री ने गुरुवार दोपहर संवाद माध्यमों के नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की। इसके दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और नेटफ्लिकस, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आएंगे। सोशल मीडिया और ओटीटी के लिए बनाए गए इस दिशा निर्देश के मुताबिक हर कंपनी को एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देगा और अनुपालन के लिए नियमित रिपोर्ट देंगे। यह सभी नियम आगामी तीन महीने में लागू हो जाएंगे।

नए दिशा निर्देशों के जरिए फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और समाचार से जुड़े वेबसाइटों को नियमित किया जाएगा। सरकार का कहना है कि नए नियमों  के तहत एक शिकायत निवारण तंत्र पोर्टल बनाना होगा। नए नियम से फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए मांगे जाने पर कंटेंट की जानकारी देना आवश्यक हो गया है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘भारत में बिजनेस के लिए सोशल मीडिया का स्वागत है। उन्हें यूजर्स मिले, बिजनेस मिला और उन्होंने भारतीयों को मजबूत किया। इसका हम स्वागत करते हैं। हम विरोध और आलोचना का स्वागत करते हैं, लेकिन यह बहुत जरूरी है कि सोशल मीडिया यूजर्स करोड़ों की तादाद में हैं। सोशल मीडिया के एब्यूज और मिसयूज के खिलाफ इन यूजर्स को अपनी समय सीमा के भीतर अपनी शिकायतों के निराकरण के लिए एक फोरम मिलना चाहिए।’

हिंसा फैलाने वालों को प्रमोट करने की शिकायतों के बाद जरूरी थी गाइडलाइन रविशंकर प्रसाद ने कहा, “हमारे सामने शिकायत आई थी कि सोशल मीडिया क्रिमिनल, आतंकवादी, हिंसा फैलाने वालों को प्रमोट करने का प्लेटफॉर्म बन गया है। भारत में WhatsApp के यूजर्स 50 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इंस्टाग्राम यूजर्स की संख्या 21 करोड़ और ट्विटर के 1.5 करोड़ यूजर्स हैं। इनके गलत इस्तेमाल और फेक न्यूज की शिकायतें आई हैं। ये चिंताजनक बात थी। इसलिए हमारी सरकार ने ऐसे प्लेटफार्म्स के लिए गाइडलाइन तैयार करने का फैसला लिया।’

संवाद माध्यमों से चर्चा में रविशंकर प्रसाद ने कहा

– सोशल मीडिया पर फेक न्यूज की भरमार है। सरकार को इनकी काफी शिकायतें मिली हैं। सोशल मीडिया का उपयोग नफरत फैलाने के लिए भी किया जा रहा है। सोशल मीडिया में दिखाई जा रही चीजें अभद्र।

– सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी शिकायत का भी फोरम मिलना चाहिए।

– हम सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल के खिलाफ हैं।

– सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकी भी कर रहे हैं।

– सभी को शिकायत निवारण की व्यवस्था करनी होगी और इसके लिए एक अधिकारी रखना होगा।
– अश्लील सामग्री मिलने पर 24 घंटे में हटाना होगा।
– दो तरह के सोशल मीडिया होंगे- प्रमुख और द्वितीय।
– चीफ कंप्लायंस ऑफिसर, चीफ नोडल ऑफिसर, चीफ ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी।
– मासिक रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी जिसमें बताना होगा कि कितनी शिकायतें आईं और कितनों पर काम हुआ
– सूचना का पहला स्रोत बताना ही होगा, ये बताना ही होगा कि सबसे पहले इसे किसने शुरु किया। अगर ये भारत के बाहर से हुआ है तो ये बताना होगा कि भारत में इसे सबसे पहले किसने आगे बढ़ाया।
– महिलाओं से संबंधी अश्लील सामग्री दिखाने या प्रकाशित करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।
– अगर आप प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं तो आपको किसी भी सामग्री को हटाने से पहले आपको यूजर को बताना पड़ेगा।
– ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी नियमों और दायरे में ही काम करना होगा।
– इस बार संसद के सत्र में दोनों सदनों में मिला कर 50 से ज्यादा प्रश्न पूछे गए, लेकिन बार-बार कहने के बाद भी ओटीटी वालों ने अपने लिए कोई नियमावली नहीं बनाई।
– स्व-नियमन के लिए एक संस्था बनानी होगी जिसमें कोई सेवानिवृत्त जज या इस स्तर का व्यक्ति प्रमुख हो।
ओटीटी के लिए कोई सेंसर बोर्ड नहीं है पर उन्हें अपनी सामाग्री को आयु वर्ग के अनुसार विभाजित करना होगा।

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