






जयपुर, 22 फरवरी। राजस्थान के सीकर में अवसाद ने राजस्थान BJP ते अध्यक्ष रहे दिवंगत नेता मदनलाल सैनी के भतीजे के परिवार की जान ले ली। इकलौते 18 वर्षीय बेटे की बीते सितंबर में हृदयाघात से मौत के बाद से परिवार ने खुद को घर में सीमित कर लिया था। अवसाद में घिरे परिवार ने आखिरकार पांच माह बाद फांसी के फंदे पर झूल कर जान दे दी। परिवार ने सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें बेटे के बिना जीना असंभव बताते हुए दुनिया छोड़कर जाने की बात लिखी है। इकलौते बेटे की मौत के अवसाद में परिवार व समाज से बनाई दूरी, आखिरकार फांसी पर झूल गया परिवार….
सीकर में पुरोहित जी ढाणी इलाके में रहने वाले 48 साल के हनुमान प्रसाद सैनी अपनी पत्नी 45 साल की तारा, 2 बेटियों पूजा और अन्नू के साथ घर में फंदे पर लटके पाए गए। हनुमान भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दिवंगत मदनलाल सैनी के भतीजे थे। वह सरकारी स्कूल में कर्मचारी थे। पत्नी हाउस वाइफ थीं। बड़ी बेटी 24 साल की पूजा MSc पूर्वार्ध और 22 साल की अन्नू BSc द्वितीय वर्ष की विद्यार्थी थीं। पड़ोसियों ने बताया कि बेटे की मौत के बाद से परिवार तनाव में था। सिर्फ हनुमान ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकलते थे। उनकी पत्नी और दोनों बेटियां घर के अंदर ही रहती थीं।
दूध वाले ने बैल बजाई, खटखटाने पर भी दरवाजा नहीं खुला
हनुमान प्रसाद के घर रविवार शाम दूधवाला दूध देने पहुंचा। उसने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन गेट नहीं खुला। इसके बाद उसने मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन किसी ने नहीं उठाया। इस पर उसने हनुमान प्रसाद के छोटे भाई घनश्याम के बेटे युवराज को फोन किया, जो अमर की मौत के बाद से हनुमान के पास ही रहता था। युवराज ने अपने पिता और चाचा को मोबाइल पर कॉल किया। मौके पर हनुमान के चाचा का लड़का कपिल सैनी पहुंचा। मेन गेट खोलकर वह अंदर गया तो देखा कि पूरा परिवार फंदे पर लटका था।
सुसाइड नोट से पता चला कि परिवार गहरे अवसाद में था
हुनुमान प्रसाद ने पूरे परिवार की ओर से लिख कर सुसाइड नोट छोड़ा है। इसमें लिखा है–’मैं हनुमान प्रसाद सैनी, मेरी पत्नी तारा देवी, 2 बेटियां पूजा और अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं। हमारे बेटे अमर का स्वर्गवास 27 सितंबर 2020 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की, लेकिन उसके बगैर जिया नहीं जाता। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला खत्म करने का फैसला लिया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था। वही नहीं रहा तो हम यहां क्या करेंगे। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी बेटे की है। उसके बिना सब बेकार है। हम पर किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है कि किसी भी परिवारवाले को परेशान न करें। ये हमारा अपना फैसला है। सुरेश (हनुमान के छोटे भाई), हम सब का अंतिम संस्कार परिवार की तरह ही करना। कबीर पंथ की तरह मत करना। सब अपने रीति रिवाज से करना और अमर का कड़ा और उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना है। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया-पैसा बाकी नहीं है।’
सामूहिक फांसी की बनाई थी पूर्व योजना
पड़ोसियों ने बताया कि कमरे में जिस लोहे के गर्डर से चारों के शव लटके मिले हैं, वह 4 दिन पहले ही मिस्त्री बुलाकर लगवाया गया था। साथ ही जिस रस्सी से चारों के शव लटके थे, वह हाल ही में खरीदी गई रस्सी के नपे-तुले टुकड़े थे। इससे जाहिर होता है कि परिवार ने कई दिन पहले आत्महत्या के बारे में सोच कर तय कर लिया था। बेटे की मौत के बाद हनुमान अक्सर अपने छोटे भाई सुरेश और घनश्याम से कहते थे कि मैं अब जिऊंगा नहीं।
सुसाइड नोट लिखा, छोटे भाई को फोन किया, फिर एक साथ झूल गया परिवार
पुलिस की जानकारी के अनुसार हनुमान प्रसाद, पत्नी व दोनों बेटियां एक ही पलंग पर चढ़कर फंदे पर लटके। उसके बाद पलंग को पैर से गिरा दिया। शव मिलने वाली जगह पलंग नीचे गिरा हुआ था। प्रारंभिक छानबीन में सामने आया कि हनुमान प्रसाद और पत्नी तारा ने सुबह खाना खाने के बाद सुसाइड नोट लिखा, फिर छोटे भाई सुरेश से फोन पर बात की, इसके बाद दोपहर में आत्महत्या कर ली। जान देने से पहले परिवार ने कमरे में बेटे अमर की फोटो के सामने उसका कड़ा और जन्म के बाद पहले मुंडन के बाल रख दिए थे।