

भोपाल, 06 फरवरी। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के एक निजी संस्थान में 8 साल पहले हुई रैगिंग के मामले में 4 तत्कालीन विद्यार्थियों को जिला अदालत ने पांच साल की सजा और दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। ज्ञातव्य है कि संस्थान की एक विद्यार्थी ने रैगिंग के डिप्रेशन में आत्महत्या कर ली थी, और अपने सुसाइड नोट में आरोपियों के नाम समेत आपबीती लिख छोड़ी थी। हालांकि इस नोट में एक टीचर का भी नाम था, लेकिन अदालत ने सुबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया। बहुत गंदी हैं ये सीनियर, टीचर भी कहते हैं, कॉलेज में पढ़ना है तो सीनियर्स की बात माननी पड़ेगी….
भोपाल के एक निजी कॉलेज में रैगिंग से परेशान अनीता शर्मा नाम की फार्मेसी की विद्यार्थी ने अवसाद में खुदकुशी कर ली थी। अनीता 2013 में RKDF बी-फार्मा द्वितीय वर्ष की विद्यार्थी थी। उसने 6 अगस्त 2013 की रात अपने घर में फांसी लगा ली थी। अनीता रैगिंग से परेशान थी, उसने कॉलेज के टीचर मनीष को इस संबंध में शिकायत भी की थी, लेकिन कार्रवाई की जगह उसने अनीता को चुप रहने की सलाह दी थी।’
मामले की जांच कर रही कमला नगर पुलिस को अनीता के कमरे से सुसाइड नोट मिला था। उसमें लिखा था, ‘मैं अनीता शर्मा बी-फार्मा सेकेंड-ईयर की छात्रा हूं। जब से मैं कॉलेज आई, तभी से मेरे साथ रैगिंग हो रही है। ये चारों लड़कियां–निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी बहुत गंदी हैं। मैंने इन्हें एक साल तक कैसे झेला, ये मैं ही जानती हूं। मुझसे इन्होंने मिड सेम की कॉपियां तक लिखवाई थी। शिकायत करने पर मनीष सर ने मुझे कहा कि कॉलेज में रहने के लिए सीनियर्स की बात माननी पड़ती है।’
फैसले में अदालत ने लिखा–रैगिंग के लिए सजा सख्त मिलनी चाहिए
अदालत ने अपने फैसले में लिखा, ‘बढ़ती हुई रैगिंग की घटनाओं को देखते हुए सजा इतनी होनी चाहिए कि दूसरे लोगों को ऐसा करने से पहले उसका नतीजा सोचकर डर लगे। आगे से भविष्य के सपने लेकर कॉलेज में एडमिशन लेने वाले किसी स्टूडेंट को सुसाइड करने के लिए मजबूर न होना पड़े। फैसले के बाद चारों दोषी लड़कियों निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी को जेल भेज दिया है। सबूतों की कमी के चलते कॉलेज के टीचर मनीष को बरी कर दिया दिया। जिला अदालत के सूत्रों के मुताबिक भोपाल में पहली बार रैगिंग के मामले में दोषी पाए जाने पर 4 लड़कियों को सजा सुनाई गई हैl