ग्वालियर, 27 जनवरी। फौजी की पत्नी ने आरोप लगाया है कि शहर के कल्याण मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन ने उसके नवजात बेटे को किसी दूसरे की बेटी से बदल दिया है। इस संबंध में मां की याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने नवजात बच्ची और फौजी पति की डीएनए मैचिंग काराने का निर्देश दिया है।
डिलीवरी-दस्तावेज में लिखा मेल, डिस्चार्ज में हो गया फीमेल
फौजी महेंद्र सिंह तोमर की पत्नी मंजू तोमर का आरोप है कि ग्वालियर के मुरार स्थित कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल में IVF तकनीक से संतान हुई थी। अस्पताल प्रबंधन ने पहले बेटा दिया गया, मंजू ने तीन दिन तक अस्पताल में बेटे का पालन पोषण भी किया। मंजू के डिलीवरी सर्टिफिकेट में मेल-चाइल्ड लिखा होने के बावजूद डिस्चार्ज-टिकट पर फीमेल लिखकर लड़की थमा दी गई।
70 हजार के लिए बेटा बदल गया बेटी में
मंजू तोमर ने बताया कि उनके पति महेंद्र सिंह तोमर आर्मी में पदस्थ हैं, और इन दिनों लद्दाख में तैनात हैं। मंजू ने बताया उनकी पहले से एक बेटी है, लेकिन लड़के की चाह में कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉक्टर केजी शर्मा और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.भावना शर्मा से संपर्क किया था। डॉक्टर्स ने IVF के जरिए मंजू की गर्भस्थापना कराई थी। अस्पताल में मंजू को प्रसव हुआ तब अस्पताल प्रबंधन ने दस्तावेजों में लड़के का हवाला देकर शिशु मंजू के सुपुर्द भी कर दिया गया। फौजी के अधिवक्ता के अनुसार अस्पताल प्रबंधन ने 70,000 रुपए और लेने के लिए उन पर दबाव बना रहा था, फौजी दंपत्ति ने आनाकानी की तो बच्चे को गंभीर रूप से बीमार बताते हुए उसका इलाज करने के लिए ले लिए और बदले में किसी और की बेटी थमा दी।
CMHO ने जांच में लिपकीय त्रुटि बता किया किनारा, अब होगी डीएनए मैचिंग फौजी की याचिका पर उच्च न्यायालय ने निर्देश दिए और मामले की जांच CMHO ने की, जांच में इसे लिपिकीय त्रुटि बताकर किनारा कर लिया। अस्पताल प्रबंधन ने उच्च न्यायालय को जवाब दिया कि डीएनए मैचिंग से बात साफ हो जाएगी कि दंपत्ति का बच्चा कौन सा है। अब पिता फौजी 5 फरवरी को अपना डीएनए सेंपल देने ग्वालियर आएगा। उच्च न्यायालय ने CMHO को निर्देशित किया गया है कि पांच फरवरी को फौजी और बच्ची का DNA सैंपल लेकर उसे गुजरात की लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजे। इस मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को रखी गई है।