इंदौर, 22 जनवरी। देशभर के नामी ज्वेलर्स के नाम और फोटो संग्रहित कर मोबाइल एप के जरिए उनके लिंक में आने वाले दूसरे दूरदराज के शहरों के ज्वैलर्स को फोन कर ठगने वाली गैंग शुक्रवार को इंदौर की सायबर पुलिस सेल के हत्थे चढ़ गई। दो सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस अब सरगना की तलाश में जुट गई है। ज्ञातव्य है कि दिसंबर 2020 में इंदौर के एक ज्वैलर ने अपने साथ हुई ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी, सायबर पुलिस इसकी तफ्तीश कर रही थी।
कम पढ़े लिखे युवक सोशल मीडिया की इंजीनियरिंग से करते थे ज्वैलर्स की ठगी….
मध्यप्रदेश साइबर सेल की गिरफ्त में आए ठगों के रहस्योद्घाटन किया है कि गिरोह के सभी सदस्य राजस्थान में जालौर जिले के आसपास के गांव के रहने वाले हैं। ग्रामीण परिवेश और कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद ये सोशल मीडिया की इंजीनियरिंग में माहिर हैं। गिरोह का 26 वर्षीय मुखिया का टशन है सोने-चांदी के जेवरात से लदे रहना, महंगे होटलों में अय्याशी करना, फ्लाइट और महंगी कारों यात्रा करना। गांव में सरपंच का चुनाव भी लड़कर हार चुके इस युवक ने ठगी के लिए गिरोह का कोडवर्ड रखा था, ‘डीजे बजाना’ है। इन्होंने बैंगलूर, सूरत, बङौदा, मुंबई, जयपुर, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अपने ठिकाने बना रखे हैं। इनके खिलाफ दिल्ली, जयपुर और राजकोट में भी केस दर्ज हैं।
मुंबई के नामी ज्वैलर के फोटो के साथ किया फोन, मांगी 4 लाख की कैश मदद
मध्यप्रदेश सायबर सेल इंदौर के अधीक्षक जितेन्द्र सिंह ने जानकारी दी कि 4 दिसंबर को पंजाबी सर्राफ ज्वेलर्स के मैनेजर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि किसी व्यक्ति ने उन्हें मुंबई के नामी ज्वेलर्स के मालिक के नाम से कॉल किया था। नंबर के साथ कॉल करने वाले का फोटो भी दिख रहा था। वह इंदौर में अपना 4 लाख रुपया अटका होने पर इस रकम को दिल्ली में पेमेंट करने की गुजारिश कर रहा था। उसने कहा कि दिल्ली में फंसा हूं, 4 लाख कैश दिलवा दो, मेरा बंदा पेमेंट दे जाएगा। कॉलर आईडी पर फोटो भी देखकर मैनेजर को विश्वास हो गया कि यह कॉल उन्हीं की नेटवर्क लिंक का है। उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के जरिए दिल्ली में पेमेंट करवा दिया। शिकायतकर्ता को इंदौर में अपना भुगतान नहीं मिला तो उसे धोखाधड़ी का आभास हुआ, और उसने थाने में शिकायत दर्ज करा दी।
सर्विलांस दिल्ली पहुंची तो पकड़ा गया गैंग का एक गुर्गा
मोबाइल लोकेसंस के आधार पर केस दर्ज कर जांच शुरू की गई और टीमों को सूरत, जयपुर, दिल्ली, जालौर आदि स्थानों पर भेजा गया। यहां मुखबिर और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर दिल्ली करोलबाग से आरोपी रामकृष्ण राजपुरोहित को गिरफ्तार कर लिया। राजस्थान के जिला जालौर के नून गांव के रामकृष्ण ने स्वीकार कर लिया कि वह और उसका साथी शैतान सिंह उर्फ प्रदीप राठौर जालौर से जयपुर होते हुए दिल्ली एक पेमेंट उठाने पहुंचे थे। इसके लिए उन्हें गिरोह के मुखिया नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह ने भेजा था। पुलिस ने रामकृष्ण की टिप्स पर शैतान सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। अब मुख्य आरोपी नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह और उसकी गैंग की खोज की जा रही है।
हाईटैक टेलीफोनी से फंसाते थे हाईफाई शिकार
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने रहस्योद्गाटन किया कि नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह देशभर के नामचीन ज्वेलर्स के फोन नंबर्स और नाम सोशल मीडिया से चुराकर रखता था। इसके बाद इनकी नेटवर्क लिंक पहचान कर एक एप के जरिए उनके फोटो, नंबर व नाम का इस्तेमाल कर उसीकी नेटवर्क लिंक के दूसरे नामी ज्वेलर्स को फोन करता था। जिसे फोन किया जाता था उसी के शहर में भुगतान अटकने के झांसे में लेकर किसी दूसरे सुदूर शहर में नकदी में मदद मांगता था। नरेन्द्र सिंह के साथ गैंग के अन्य सदस्य दूसरे मोबाइल के मार्फत पेमेंट लेकर निकल जाते थे, और मोबाइल बंद कर लेते थे। भुगतान नकदी में होने की वजह से शिकार प्रमाण के अभाव में शिकायत भी नहीं कर पाता था। पुलिस को इस गैंग के मुखिया नरेन्द्र उर्फ दशरथ सिंह, मोहर सिंह, विजय सिंह, रज्जाक खान, कमलेश राजपुरोहित और अन्य साथियों की तलाश है।
सरगना सोने-चांदी के जवरात का शौकीन, गांव में सरपंची का भी लड़ चुका है चुनाव
गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि गैंग ने धोखाधड़ी के लिए एक कोड वर्ड बना रखा था… ‘डीजे बजाना’। जब भी ठगी को लेकर कोई बात होती तो ये इसी शब्द का इस्तेमाल करते थे। इन्होंने अब तक कई बड़े ज्वेलर्स को अपना निशाना बनाया है। गिरोह का 26 वर्षीय सरगना नरेन्द्र सिंह उर्फ दशरथ सिंह महंगी गाड़ियों में घूमता है। उसे सोने-चांदी के जेवर पहनने का बहुत शौक है। गिरफ्त में आए सदस्यों की माने तो दशरथ गांव में सरपंची का चुनाव भी लड़ चुका है। हालांकि वह हार गया था। उसे महंगी होटलों में रुकना, अय्याशी करना और हवाई यात्रा करना बहुत पसंद है।