भोपाल, 23 अक्टूबर। चुनाव आयोग मध्यप्रदेश के 9 जिलों में राजनीतिक रैलियों को प्रतिबंधित करने के उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने जा रहा है। हालांकि अभी इस संबंध में चुनाव आयोग के अधिकारियों के बीच चर्चा चल रही है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, दोपहर तक इस मामले में कोई फैसला लिया जा सकता है। चुनाव आयोग का मानना है कि उच्च न्यायालय का आदेश चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है। चुनाव कराना उसका काम है, और उच्च न्यायालय के आदेश से मतदान प्रक्रिया बाधित होगी। ज्ञातव्य हो कि मुख्य मंत्री शिवराज सिंह पहले ही इस मामले में उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाने का इरादा जाहिर कर चुके हैं।

दो दिन पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि राजनीतिक दलों को वर्चुअल तकनीक का इस्तेमाल आयोजनों में करना चाहिए। आम सभा या रैली की अनुमति तभी दी जाएगी, किसी वाजिब कारण से वर्चुअल माध्यम से सभा हो पाने संभव न हो। इस स्थिति में भी पहले उच्च न्यायालय की अनुमति जरूरी होगी। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि रैली की अनुमति तभी मिलेगी जब पार्टी या उम्मीदवार जिला मजिस्ट्रेट के पास निर्धारित धनराशि जमा करेंगे। प्रतिभागियों के लिए आवश्यक संख्या में मास्क और सैनिटाइजर रखना भी आयोजकों की अनिवार्य जिम्मेदारी होगी।

भाजपा पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह चुकी है

गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि  वह न्यायालय के फैसले का आदर करते हैं। इसलिए अशोक नगर के लोगों से माफी मांगते हैं कि उन्हें दो राजनीतिक रैलियों को रद्द करना पड़ रहा है। चौहान ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे, क्योंकि यह एक ही भूमि में दो कानून होने जैसा है। ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में राजनीतिक रैलियों की अनुमति है। इसे दूसरे हिस्से में अनुमति नहीं है। बिहार में राजनीतिक रैलियां आयोजित की जा रही

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