-सीजेआई ने नई हैंडबुक की लॉन्च, कहा-समावेशी भाषा का हो इस्तेमाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक नई हैंडबुक जारी की है, जिसका उद्देश्य विकलांगता के संदर्भ में संवेदनशील और समावेशी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है। यह हैंडबुक कानूनी समुदाय और आम जनता को यह बताने में मदद करेगी कि विकलांगता के बारे में बात करते समय कौन-सी शब्दावली उपयुक्त है और कौन-सी नहीं।

सीजेआई ने कहा कि विकलांगता का जिक्र करते समय कमजोर, अविकसित, अयोग्य, और अपंग जैसे शब्दों से बचना चाहिए। इसके बजाय विकलांगता वाले व्यक्ति शब्द का इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है, जो अधिक समावेशी और सम्मानजनक है। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में पागल, सनकी, और बेवकूफ जैसे शब्दों से भी परहेज करने की सलाह दी है। सीजेआई ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का भी उल्लेख किया, यह बताते हुए कि उनकी दो दिव्यांग बेटियों ने उन्हें विकलांगता के प्रति एक नया दृष्टिकोण दिया है।

हैंडबुक में यह भी सुझाव दिया गया है कि जब भी संभव हो, संबंधित व्यक्ति से पूछें कि वे खुद को किस नाम से कहलवाना पसंद करते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल व्यक्तियों के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि उनकी स्वायत्तता को भी बढ़ावा देता है। सीजेआई ने यह भी कहा कि न्याय प्रणाली को विकलांग बच्चों की भेद्यता को समझने और उस पर उचित प्रतिक्रिया देने की जरुरत है। इस पहल का उद्देश्य न केवल न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार लाना है, बल्कि समाज में विकलांगता को लेकर जागरूकता भी बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि यह हैंडबुक विकलांगता के बारे में धारणा को सकारात्मक दिशा में बदलने में मदद करेगी।

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