जेनेवा। कश्मीर मुद्दे पर तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के खिलाफ कुछ नहीं बोला वह इस मुद्दे पर खामोश रहे। ऐसा माना जा रहा है कि तुर्की का यह कदम ब्रिक्स समूह में शामिल होने की की वजह है, जिसमें भारत पहले से ही सदस्य है। ब्रिक्स में एंट्री के लिए उसे भारत का समर्थन चाहिए। रूस, जो तुर्की का समर्थन कर रहा है, यह भली-भांति जानता है कि भारत के बिना तुर्की की ब्रिक्स में एंट्री संभव नहीं है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हाल ही में न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने कहा कि हम ब्रिक्स के साथ अपने संबंधों को विकसित करने की अपनी इच्छा को बनाए रखते हैं।

पाकिस्तान को तुर्की की इस चुप्पी से धक्का लगा है। जब उसे यह जानकारी मिली कि तुर्की कश्मीर मुद्दे पर कुछ नहीं कह रहा है, तो वह हैरान रह गया। इससे पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हुई है। ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए तुर्की की कोशिशों का समर्थन रूस कर रहा है, लेकिन इसके लिए भारत का साथ जरुरी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि एर्दोगन अगले महीने रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।

बता दें ब्रिक्स का गठन 2001 में गोल्डमैन सैक्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर हुआ था, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे उभरते देशों को शामिल किया गया था। यह संगठन सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने और उनकी वैश्विक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास करता है। भारत के पक्ष में तुर्की का यह कदम, वैश्विक स्तर पर बदलती गतिशीलता को दर्शाता है, जिसमें एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और सहयोग की जरुरत बढ़ती जा रही है।

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