माले । मालदीव की सरकार अब भारत के साथ हुए समझौतों की जांच नहीं कराएगी। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने संसद को भारत के साथ हुए समझौतों की जांच करने से रोकने का आदेश दिया है। मुइज्जू ने यह कदम भारत-मालदीव संबंधों में सुधार के बीच उठाया गया है। चुनाव प्रचार के दौरान मुइज्जू ने पिछली सरकार के समय किए गए समझौतों की समीक्षा करने का वादा किया था, लेकिन अब उन्होंने संसद को इस जांच से रोक दिया है। हाल ही में, भारत ने मालदीव को दिए गए कर्ज की चुकाने की समयसीमा बढ़ा दी है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी बढ़ाई है। रिपोर्ट के अनुसार, मुइज्जू की पार्टी के सांसद अहमद अजान ने 9 जून को संसद की सुरक्षा समिति (241 समिति) के समक्ष भारत के साथ हुए समझौतों की जांच के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। इस पर मुइज्जू की सरकार ने 10 जून को एक उप-समिति का गठन किया, जिसका काम भारत और मालदीव के बीच हाइड्रोग्राफी समझौते और उथुरु थिला फाल्हू समझौते की जांच करना था। सांसद अजान ने बताया कि मालदीव के लोगों ने मुइज्जू को वोट दिया था ताकि देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि समिति को संविधान द्वारा दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, संसद ने इस मुद्दे पर चर्चा करने में असमर्थता जताई है। सूत्रों के अनुसार, यह मामला तीन महीने से समिति स्तर पर लंबित है, और कुछ सांसदों का आरोप है कि मुइज्जू के आदेश पर इस मुद्दे को लटकाया गया है। एक सांसद ने बताया कि राष्ट्रपति नाराज हुए थे जब बिना चर्चा के यह मुद्दा उठाया गया। मुइज्जू ने अभी तक भारत से संबंधित किसी भी वादे को पूरा नहीं किया है। भारतीय हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान वापस नहीं किए गए हैं, और भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चर्चा जारी है, लेकिन उनकी जगह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स कंपनी के सदस्यों को रखा गया है।

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