नई दिल्ली। पूरे देश में टोल टैक्स को लेकर बहस चल रही है। सबके अपने अपने तर्क हैं। यह बहस तब और बढ़ गई जब एक आरटीआई के जवाब में यह बात सामने आई थी कि राजस्थान में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर मनोहरपुर टोल प्लाजा से लगभग 8,000 करोड़ रुपये वसूले गए, जबकि इस हाईवे के निर्माण की लागत लगभग 1,900 करोड़ रुपये थी। इस सवाल का जवाब खुद केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिया है। एक न्यूस चैनल से बात करते हुए हुए उन्होंने कहा कि ये ठीक उसी तरह से है जैसे आप कार के लिए लोन लेते हैं। गडकरी ने कहा कि अगर आप नकद में कार या मकान खरीदते हैं तो उसकी कीमत 2.5 लाख रुपये होगी। अगर आप उसे 10 साल के लिए लोन पर लेते हैं तो उसकी कीमत 5.5 से 6 लाख रुपये हो जाती है। हर महीने ब्याज देना पड़ता है। कई बार ये काम लोन लेकर ही किया जाता है।
गडकरी ने एक दिलचस्प उदाहरण देकर समझाया कि लोन पर चीजें लेने पर महंगी क्यों पड़ती हैं। दरअसल, गडकरी से पूछा गया था कि जब सड़क निर्माण की लागत सिर्फ 1,900 करोड़ रुपये थी तो 8,000 करोड़ रुपये टोल टैक्स के रूप में क्यों वसूले जा रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि टोल टैक्स एक दिन में नहीं वसूला जाता है। सरकार को टोल वसूली से पहले और बाद में भी कई तरह के खर्चे उठाने पड़ते हैं। दिल्ली-जयपुर हाईवे (एनएच-8) पर ज्यादा टोल वसूली के मुद्दे पर गडकरी ने बोले कि यह सड़क 2009 में यूपीए सरकार ने आवंटित की थी। इस प्रोजेक्ट में 9 बैंक शामिल थे। सड़क को बनाने में बहुत दिक्कतें आईं। ठेकेदार भाग गए। बैंकों ने अदालत में मुकदमे दायर किए। फिर नए ठेकेदार आए। सरकार ने नए ठेकेदारों को हटा दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने स्टे ऑर्डर दे दिया। इस सड़क का नया डीपीआर बनाया गया। सड़क के दोनों ओर अतिक्रमण है। वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते रहे कि अगर 6 लेन वाली सड़क बनानी है तो अतिक्रमण हटाना होगा। इस बार बारिश की वजह से और दिक्कतों का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने दावा किया कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की इच्छा रखता है। सड़क परिवहन मंत्री ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में कैबिनेट ने 51,000 करोड़ रुपये की आठ सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दी है।