नई दिल्ली। उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन कई मौकों पर अमेरिका और साउथ कोरिया को धमकाते हुए भी देखे गए हैं। इन देशों ने उत्तर कोरिया की ताकत को दुनिया के लिए खतरा कहा है लेकिन भारत इससे बहुत प्रभावित नहीं दिखता है। भारत के उत्तर कोरिया से दशकों पुराने संबंध हैं, जो आज भी कायम हैं। दोनों देशों के नेता बहुत ज्यादा एक दूसरे देश की यात्राएं करते नहीं दिखते हैं लेकिन भारत दुनिया के इस खतरनाक देश पर अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भरोसा करता रहा है। उत्तर कोरिया को एक अलग-थलग परमाणु-सशस्त्र तानाशाही वाला देश कहा जा सकता है लेकिन वह लगातार भारत का मित्र रहा है।
दरअसल भारत की रुचि उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम और पाकिस्तान से उसके संबंधों में है। वर्षों तक पाकिस्तान ने परमाणु तकनीक मुहैया कराकर उत्तर कोरिया की परमाणु हथियार विकसित करने में मदद की है। उत्तर कोरिया ने पाक को मिसाइलें विकसित करने में मदद की है। भारत ने लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच इन संबंधों के बारे में बताया है। वीके सिंह की 2018 यात्रा के दौरा उत्तर कोरिया ने भारत की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालने का वादा किया था। उत्तर कोरिया से भारत के रिश्ते रहे हैं लेकिन हालिया वर्षों में इनमें बहुत ताजगी नहीं दिखी है। उत्तर कोरिया की तुलना में भारत अमेरिका और दक्षिण कोरिया के कहीं ज्यादा करीब है। भारत ने उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों पर भी चिंता जताई है। बीते 5 वर्षों में दोनों के बीच शीर्ष स्तर की बैठकें भी नहीं हुई हैं।
उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों और मिसाइल टेस्ट से कथित तौर पर एशिया की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। इन परीक्षणों के चलते उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया लेकिन भारत ने देश से संपर्क नहीं तोड़ा है। भारत उन कुछ देशों में से एक है जिसका प्योंगयांग में दूतावास है। लंबे समय तक तो भारत उत्तर कोरिया का दूसरा और तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार रहा है। भारत और उत्तर कोरिया के नेता बहुत जल्दी-जल्दी दौरे नहीं करते हैं। उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री ने करीब दस साल पहले 2015 में भारत का दौरा किया था। वहीं भारत के मंत्री वीके सिंह 2018 में उत्तर कोरिया गए थे। वीके सिंह की यात्रा ने विशेष रूप से दुनिया का ध्यान खींचा था क्योंकि इसकी उम्मीद कई देशों को नहीं थी। इससे एक साल पहले ही, 2017 में अमेरिका ने भारत से उत्तर कोरिया के साथ अपने राजनयिक संपर्क कम करने को कहा था। इसे उस समय की भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नकार दिया था। भारत उत्तर कोरियाई राजनयिकों को प्रशिक्षण भी देता रहा है। भारत ने उत्तर कोरिया को कई महत्वपूर्ण मौकों पर मदद भी की है, जो दोनों की दोस्ती को दिखाता है। साल 2022 में उत्तर कोरिया ने बाढ़ से फसल नष्ट होने के बाद कथित तौर पर भारत से चावल मंगाया था।