नई दिल्ली। शीर्षस्थ न्यायालय की जज बनने वाली आठवीं महिला जस्टिस हिमा कोहली ने रिटायरमेंट से पहले अपनी विदाई समारोह में सीजेआई चंद्रचूड़ से एक ही तोहफा मांगा। उन्होंने कहा कि मेरे जाने के बाद इस जगह पर किसी महिला जज की नियुक्ति की जाए। 40 साल कानून की सेवा के बाद जस्टिस हिमा कोहली 1 सितंबर को रिटायर हो रही हैं। उससे पहले सेरेमोनियल बेंच में सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ डायस साझा करते हुए वह भावुक हो गईं।

बता दें कि जस्टिस कोहली अपने परिवार से पहली वकील थीं। उन्होंने सुनंदा भंडारा, वाईके सबरवाल और विजेंद्र जैन के साथ काम किया। ये तीनों ही हाई कोर्ट के जज बने थे। कोहली भी उनके पदचिह्नों पर चलते हुए 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट की जज बन गईं। इसके बाद वह तेलंगाना हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं। 31 अगस्त 2021 को सीजेआई एनवी रमना ने तीन महिला जजों को सुप्रीम कोर्ट की जज के रूप में शपथ दिलाई। इसमें जस्टिस कोहली, बीवी नागारत्नी और बेला एम त्रिवेदी शामिल थीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केवल सात ही महिला जज हुई थीं। सितंबर 2027 में जस्टिस नागारत्ना सुप्रीम कोर्ट की पहली सीजेआई बनेंगी। शुक्रवार को उनका आखिरी कार्यदिवस था। इउन्होंने कहा कि अब वह इस ब्लैक ऐंड वाइट दुनिया को अलविदा कह रही हैं। इस मौके पर सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी भावुक बातें कहीं और सीजेआई से आग्रह किया कि महिलाओं को न्यायपालिका में उचित स्थान दिया जाए। उन्होंने सीजेआई से कहा, लॉ फर्म्स में गंभीर मुकदमे लड़ने के बाद भी महिलाओं को उचिस स्थान नहीं मिल पाता है। ऐसी प्रतिभावान महिलाओं को हाई कोर्ट की जज के रूप में नियुक्त करना चाहिए। अगर महिलाएं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकती हैं तो वे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की जज भी बन सकती हैं।सीजेआई ने भी कपिल सिब्बल की बात पर मौन स्वीकृति दी। सीजेआई ने कहा कि महिलाएं न्यायिक अधिकारियों के रूप में नियुक्ति के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं। उन्होंने कहा, सीनियर ऐडवोकेट्स को ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग देनी चाहिए और अपने जैसा कामयाब बनाना चाहिए। अगर लीगल प्रोफेशन में महिलाओं के लिए ए लेवल प्लेइंग फील्ड बनती है तो कोहली की ही तरह वकील भी कामयाब हो जाएंगे।

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