ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रहीं हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिया। शेख हसीना के पासपोर्ट को रद्द करने का कदम अन्य पूर्व नेताओं को संकट में डाल दिया है। यह फैसला उसी दिन लिया गया, जब संयुक्त राष्ट्र की एक टीम यह आकलन करने ढाका पहुंची कि देश में मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है या नहीं। गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि शेख हसीना का पासपोर्ट, पूर्व सरकार के मंत्रियों और पूर्व सांसदों के पासपोर्ट को रद्द करना होगा। अंतरिम सरकार का यह फैसला भारत के लिए एक कूटनीतिक दुविधा पैदा करता है। बता दें कि पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थी। जहां एक तरफ भारत सरकार शेख हसीना की मेजबाजी कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पीएम मोदी ने नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को भी अपना समर्थन देने की पेशकश की है। बता दें कि, इस महीने की शुरुआत में छात्र हिंसा के शुरू होने के बाद शेख हसीना पीएम पद से इस्तीफा देकर भाग गई थी।

इससे पहले शेख हसीना की सरकार पर बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था। संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय ने पिछले सप्ताह एक प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया था कि इस मामले में स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है कि सुरक्षा बलों ने अनावश्यक बल का इस्तेमाल किया था। मोहम्मद यूनुस से संयुक्त राष्ट्र को आश्वासन दिया कि वे जांच में हरसंभव मदद करेंगे। बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री, उनके सलाहकार, पूर्व कैबिनेट मंत्री और भंग राष्ट्रीय असेंबली के सभी सदस्य अपने पदों के आधार पर राजनयिक पासपोर्ट के पात्र थे। अगर उन्हें पदों से हटाया गया हो या वे सेवानिवृत्त हो गए हैं तो उनके और उनके जीवनसाथी के पासपोर्ट रद्द करने होंगे। ढाका के नए अधिकारियों ने कहा कि शेख हसीना और उनके कार्यकाल के पूर्व शीर्ष अधिकारी स्टैंडर्ड पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते थे। बता दें कि बांग्लादेश की हिंसा में 450 से अधिक लोग मारे गए।

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