कीव । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड यात्रा खत्म हो गई है और वे अब यूक्रेन पहुंचकर राष्ट्रपति जेलेंस्की से युद्ध को लेकर चर्चा करेंगे। शांति कैसे स्थापित होगी इस पर मंथन किया जाएगा। न इधर न उधर की कोई बात नहीं होगी बल्कि प्रमुखता के साथ शांति का रास्ता निकालने का प्रयास पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। पीएम मोदी शुक्रवार की सुबह से करीब सात घंटे यूक्रेन की राजधानी कीव में रहेंगे। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ वार्ता करेंगे। इसमें यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर भी चर्चा होगी। गौरतलब है कि करीब तीन दशक पहले दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा होगी। इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर है। अमेरिका ने प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा को अहम करार दिया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों यूरोप में हैं। वह 21 और 22 अगस्त को दो दिवसीय पोलैंड यात्रा पर राजधानी वारसॉ में थे। इसके बाद पीएम मोदी ट्रेन से युद्धग्रस्त यूक्रेन पहुंच रहे हैं। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ वार्ता करेंगे। इसमें यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर भी चर्चा होगी।

भारत किसी एक का पक्ष नहीं लेगा, लेकिन वह शांति के पुल की तरह काम करेगा। शुक्रवार को यूक्रेन यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बड़ा संदेश दिया है। आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी पहले ऐसे वैश्विक नेता हैं, जिनकी मेजबानी दोनों देशों ने की है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने कहा कि वे ज़ेलेंस्की के साथ चल रहे यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपने विचार साझा करेंगे। इससे पहले उन्होंने पोलैंड में भी दोहराया कि यह युद्ध का युग नहीं है।पीएम मोदी ने यह बात 2022 में सबसे पहले व्लादिमीर पुतिन से कहा था। फिर 2023 में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मौजूदगी में भी दोहराया था।

वैश्विक नेताओं द्वारा ट्रेन के जरिए पोलैंड से यूक्रेन की यात्रा एक कूटनीति का हिस्सा मानी जाती है। इस कूटनीति को आयरन डिप्लोमेसी का नाम दिया गया है। यूक्रेनी रेलवे के सीईओ ओलेक्सांद्र कामिशिन ने आयरन डिप्लोमेसी शब्द गढ़ा है। आयरन डिप्लोमेसी के तहत दुनिया के नेता युद्ध और हवाई क्षेत्र बंद होने की अनदेखी करके कीव के लिए भूमि मार्ग अपनाते हैं। इसके अलावा नेता संघर्ष के मामले में, शांति पर चर्चा करने के लिए यूक्रेन को समर्थन दिखाते हैं।

24 फरवरी, 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का आगाज हुआ था। इसके बाद पोलैंड, चेक गणराज्य और स्लोवेनिया के प्रधानमंत्री 15 मार्च को यूक्रेन का दौरा करने वाले पहले पश्चिमी नेता थे। इसके बाद भी वैश्विक नेताओं ने दौरे जारी रहे। अमेरिका, फ्रांस, इटली, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे तमाम बड़े देशों के नेता ट्रेन से ही कीव पहुंचे।

ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी की आलोचना की थी

पिछले महीने ही ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा की कड़ी आलोचना की थी और पुतिन को दुनिया के सबसे ख़ूंखार अपराधी बताते हुए पीएम मोदी द्वारा उन्हें गले लगाने पर अपनी निराशा व्यक्त की थी। हालांकि, जेलेंस्की अब कीव में पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए बेताब हैं। इस बात की संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी ज़ेलेंस्की को भी वही संदेश देंगे जो उन्होंने इस जुलाई में पुतिन को दिया था। उन्होंने कहा था कि युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।रूस और यूक्रेन की यात्राओं के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका की बहुप्रतीक्षित यात्रा पर जाएंगे। यहां से वह दुनिया को संदेश दे सकते हैं और दोनों देशों के बीच युद्ध को खत्म करने की कोशिश करेंगे।बता दें कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री तीन दशक से ज्यादा समय के बाद यूक्रेन का दौरा कर रहा है। हालांकि पीएम मोदी और ज़ेलेंस्की पिछले तीन सालों में तीन बार मिल चुके हैं। 2020 से वे कई बार फोन पर एक-दूसरे से बात भी कर चुके हैं। इस मार्च की शुरुआत में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा भारत आए थे।अपनी पहली यूक्रेन यात्रा में शांति की वकालत पीएम मोदी का शीर्ष एजेंडा होगा। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह स्थायी शांति के लिए बातचीत के ज़रिए समाधान तक पहुंचने के लिए कूटनीति और संवाद के पक्ष में है। पीएम मोदी ने पहले भी इस बात की पेशकश की है कि शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद के लिए हर संभव सहायता और योगदान दिया जाएगा।

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