नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को सब कैटेगरी बनाने के फैसले के विरुद्ध कई संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे कई राज्यों में इसका असर दिखाई दिया। भारत बंद का आरजेडी, बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर ने भी समर्थन किया है। दुकानें और बाजार बंद कराने सड़कों पर उतरे संगठनों के कार्यकर्ताओं और दुकानदारों के बीच कई जगह झड़प भी हुई है। हालांकि दोनों को पक्षों को शांत करा दिया गया जिसके कारण कोई अप्रिय घटना नहीं हो पाई।

भारत बंद को सफल बनाने को लेकर आगरा में बसपा कार्यकर्ताओं ने तैयारी की है। बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। धनौली में प्रदर्शनकारियों द्वारा बाजार बंद कराया गया है। सभी लोग कलेक्ट्रेट की तरफ कूच कर गए।बसपा जिलाध्यक्ष विमल कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश से एससी-एसटी वर्ग के लोगों में आक्रोश है। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती की ओर से सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को भारत बंद के समर्थन करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। बसपा के कार्यकर्ता शांतिपूर्वक मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन डीएम को सौपेंगे। अलग-अलग जगह से पार्टी के कार्यकर्ता सुबह साढे़ 11 बजे मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट के लिए निकले हैं। आरक्षण में क्रीमी लेयर के विरोध में बुधवार सुबह से बसपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। धनौली नरीपुरा से सैकड़ों कार्यकर्ता बसपा का झंडा लेकर कलेक्ट्रेट की तरफ बढ़ रहे हैं। जुलूस में शामिल लोगों ने रास्ते में खुली दुकानों को बंद कराया। वाहन चालकों से भी धक्का मुक्की की गई है। वहीं अर्जुन नगर तिराहे पर ट्रैफिक पुलिस आईलैंड पर चढ़कर झंडा लगा दिया। शहर के अन्य इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग कलेक्ट्रेट की तरफ जुलूस के रूप में आगे बढ़ रहे हैं। भारत बंद के आह्वान के बाद पुलिस और एलआईयू अलर्ट है। कलेक्ट्रेट पर फोर्स तैनात रहेगी। संवेदनशील इलाकों में पुलिस पेट्रोलिंग करेगी। सोशल मीडिया पर भी नजर रखी जा रही है। अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मध्य प्रदेश में बंद का असर -उज्जैन में दुकानदार से बहस, ग्वालियर में स्कूल बंद, भोपाल-इंदौर में खुले

भारत बंद के दौरान उज्जैन में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) संगठनों के सदस्यों और एक दुकानदार के बीच झूमा-झटकी हो गई। टावर चौक इलाके में बाजार बंद कराने पहुंचे कराने पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने दुकान बंद करने की बात कही तो दुकानदार ने इनकार कर दिया। इस पर बंद समर्थक दुकान का काउंटर धकेलने लगे। दुकानदार ने आपत्ति जताई। दोनों के बीच बहस होने लगी। मौके पर मौजूद लोगों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया। उधर, ग्वालियर में आज कई स्कूल बंद हैं। कलेक्टर ने मंगलवार रात से ही जिले में धारा 163 के आदेश लागू कर दिए थे। भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत कई जिलों में स्कूल खुले हैं। दुकानें भी खुल रही हैं। खंडवा में बंद बेअसर दिख रहा है। यहां बाजार पूरी तरह खुल चुका है। आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ बुलाए गए बंद का जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) समर्थन कर रहा है। मंगलवार देर रात समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने भी वीडियो जारी कर बंद को समर्थन देने का ऐलान किया था। धार जिले की मनावर सीट से कांग्रेस विधायक और जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा और भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया भी बंद के समर्थन में हैं। वहीं, कांग्रेस ने इस बंद को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं की है। इधर, पुलिस-प्रशासन बंद को लेकर अलर्ट है। सड़कों पर सुबह से ही पुलिस के जवान दिख रहे हैं।

राजस्थान के भरतपुर में नेटबंदी, अलवर में रोडवेज बसें नहीं चलीं

अलवर में रोडवेज बसें नहीं चलने से लोगों को परेशानी हुई। इधर जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर, सीकर में भी सभी बाजार, स्कूल बंद हैं। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी संघर्ष समिति के लोगों से समझाइश कर रहे हैं। सभी से अपील की गई है कि वे प्रदर्शन व रैली को शांतिपूर्ण रखें। बंद के आह्वान पर भाजपा नेता किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हैं। कुछ लोग एससी-एसटी को गुमराह कर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति ने बंद की सफलता के लिए 25 टीमें भी बनाई हैं। इससे पहले मंगलवार को ही 16 जिलों में आज के लिए स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई थी। भरतपुर में सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक इंटरनेट भी बंद रहेगा। बंद के चलते जयपुर, सीकर, अलवर, दौसा, सवाई माधोपुर, डीग, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, टोंक, भीलवाड़ा, नीमकाथाना, कोटा, श्रीगंगानगर, चित्तौड़गढ़ और भरतपुर में स्कूल-कॉलेजों के साथ समस्त शैक्षणिक संस्थाओं में आज छुट्‌टी की घोषणाा की गई है। कोटा, शेखावाटी और मत्स्य यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई।भरतपुर में संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा के निर्देशानुसार सुबह 9 से शाम 6 बजे तक इंटरनेट बंद किया गया। गंगापुर सिटी जिले के टोडाभीम में सरकारी स्कूल विशनपुरा के 12 टीचरों ने सीबीईओ (टोडाभीम) को सामूहिक एप्लिकेशन देकर 21 अगस्त की छुट्‌टी मांगी है। उन्होंने भारत बंद का समर्थन करने के लिए छुट्‌टी चाही है। कोटा के साथ ही जयपुर ग्रामीण के फुलेरा, चंदवाजी, रेनवाल और अचरोल में शराब की दुकानें बंद रहेंगी।

बिहार के उंटा में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया

आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के भारत बंद के समर्थकों ने बिहार के उंटा में राष्ट्रीय राजमार्ग 83 को जाम कर दिया है। बिहार में साफतौर पर भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है। भारत बंद के दौरान पटना में भारी संख्या में लोग सड़कों पर निकलकर इस फैसले के खिलाफ विरोध कर रहे है। भीम सेना के समर्थकों ने बिहार के शेखपुरा में सड़कें जाम कीं और नारे लगाए। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भारत बंद को अपना समर्थन दिया है। बंद का असर पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों पर सबसे ज्यादा देखा जा सकता है। शासन ने पश्चिमी यूपी के जिलों में पुलिस, प्रशासन और गोपनीय सुरक्षा एजेंसियों को विशेष रूप से सतर्कता बरतने के लिए अलर्ट किया है। वहीं दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

संगठनों ने मांगों की सूची जारी की

दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए न्याय और समानता सहित मांगों की एक लिस्ट जारी की है। दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें सरकार से नौकरियों और शिक्षा में इन समुदायों के लिए सामाजिक न्याय और समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की मांग की गई है। इसने सभी ओबीसी और एससी/एसटी समूहों से बड़ी संख्या में शांतिपूर्वक भाग लेने का आग्रह किया है। बता दें दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर ये भारत बंद का आह्वान किया गया है। ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं।

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