ढाका। बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा है शेख हसीना का शासन दमनकारी शासन था जिसकी वजह से बांग्लादेश के लोगों में गुस्सा है। उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया विदेशी शक्तियों की संलिप्तता का नैरेटिव बना रहा है जबकि हसीना को हटाने में कोई विदेशी ताकत शामिल नहीं है। भारत को शेख हसीना को शरण देने से पहले सोचना चाहिए था। हसीना सरकार के दौरान हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ़ करीब 6 मिलियन मामले दर्ज किए गए और मैं भी 11 बार जेल गया। हमने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि हसीना सरकार ने सभी सरकारी संस्थानों का राजनीतिकरण कर दिया था। हसीना के जाने से देश में उत्सव है। सभी राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेने के लिए स्वतंत्र हैं। बीएनपी एक लोकतांत्रिक पार्टी है, हमारे पास एक संविधान है। उन्होंने कहा कि बीएनपी के उपाध्यक्ष तारिक रहमान वापस आएंगे। खालिदा जिया हमारी नेता हैं, उनकी अनुपस्थिति में तारिक हमारे नेता हैं।

जमात-ए-इस्लामी से बीएनपी के गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीएनपी पूरी तरह से उदार और लोकतांत्रिक पार्टी है जबकि जमात इस्लाम के लिए प्रतिबद्ध है, हम अलग-अलग दल हैं और गठबंधन परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हमारे लिए आपसी संबंध ज्यादा अहमियत रखते है।

भारत का जिक्र करते हुए आलमगीर ने कहा कि भारत को केवल बांग्लादेश की एक पार्टी के साथ संबंध नहीं रखना चाहिए। भारत हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है। लोगों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी देश हमारे मित्र होने चाहिए। बांग्लादेश में लोकतंत्र की अनुमति दी जानी चाहिए और शेख हसीना को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। कोई भी उन्हें शरण क्यों नहीं दे रहा है? शेख हसीना को शरण देने से पहले भारत को सोचना चाहिए, इससे लोगों के आपसी रिश्ते प्रभावित होंगे।

उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की घटना को गलत बताते हुए कहा कि ढाका में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का एक भी मामला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 35फीसदी मतदाता अल्पसंख्यक थे, वहां कुछ नहीं हुआ। अपने स्वार्थ के लिए समूह हमारे खिलाफ काम कर रहे हैं। सभी निवेश सुरक्षित रहेंगे। गौर करने वाली बात ये है कि नई अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बीएनपी नेताओं ने भारतीय राजनयिकों से मुलाकात की थी।

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