-सॉलिसिटर जनरल ने कहा-सरकार को इस मुद्दे पर विचार के लिए समय चाहिए

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने रिटायर हाईकोर्ट जजों को लेकर चिंता जताई है, जिन्हें पेंशन के रूप में काफी कम रकम दी जाती है। रिटायर होने वाले ऐसे जज अपना पूरा जीवन जिला ज्यूडिशरी में बिताने के बाद हाईकोर्ट जज नियुक्त किए गए थे। इन जजों को 15,000 से 25,000 रुपए के बीच पेंशन मिलती है। चीफ जस्टिस की बेंच का इसपर ध्यान उस समय गया जब एमिकस क्यूरी के पारमेश्वर ने जिला जजों की पेंशन से जुड़े मुद्दों के जल्द समाधान की मांग की। एमिकस जिला जजों की गरिमा के अनुरूप पेंशन में बढ़ोतरी की वकालत कर रहे थे।

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मौजूदगी में चीफ जस्टिस ने शीर्ष कानूनी अधिकारियों से इस मुद्दे के समाधान के लिए अच्छे कार्यालयों का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। जब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कुछ समय चाहिए, इसमें भारी वित्तीय बोझ समेत कई आयाम हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि मैं आपकी दुविधा जानता हूं, लेकिन उन लोगों को भी देखिए जो जिला ज्यूडिशरी से हाईकोर्ट के जज नियुक्त होने के बाद चार से पांच साल का कार्यकाल रखते हैं। उन्हें 15 से 25 हजार पेंशन मिलती है। जिला ज्यूडिशरी में उनका कार्यकाल नहीं गिना जाता। हमारे पास ऐसे सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जजों की कई याचिकाएं हैं।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पूरा जीवन न्यायपालिका में बिताने के बाद 15 से 25 हजार रुपये पेंशन मिलना उनके लिए कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। ऐसे सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जजों का प्रोफाइल देखिए। उनमें से कुछ को छोड़कर, जो उंगलियों पर गिने जा सकते हैं, बाकी सेवानिवृत्ति के बाद न तो प्रैक्टिस करते हैं और न ही मध्यस्थता का काम करते हैं। आपसे मेरी अपील है कि आप संबंधित अधिकारियों के साथ बैठकर इस मुद्दे की जांच करें और उचित समाधान निकालें। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम वित्तीय प्रभावों को समझते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रूप में, हमें न्यायपालिका के संरक्षक के रूप में भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा। इसके बाद मामले को 27 अगस्त को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

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