नई दिल्ली। अदालतों में लंबे समय तक चलने वाले मामलों को लेकर देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आम लोगों का दर्द बयां किया है। उन्होंने कहा कि अदालत में चलने वाली लंबी कानूनी लड़ाई से लोग त्रस्त हो गए हैं। वे जल्दी मामले के निपटाना चाहते हैं। इसके लिए कई बार समझोते करने को भी मजबूत होते हैं। चीफ जस्टिस केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ सुप्रीम कोर्ट में विशेष लोक अदालत सप्ताह कार्यक्रम में शामिल हुए थे। सीजेआई ने कहा कि इस स्थिति में वैकल्पिक मैकेनिज्म के तौर पर लोक अदालत का रोल अहम हो जाता है। लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए चीफ जस्टिस ने कहा कि बार और बेंच दोनों का जबर्दस्त सहयोग मिला।

सीजेआई ने कहा कि लोक अदालत की स्थापना के हर चरण में बार और बेंच सहित सभी से उन्हें जबरदस्त समर्थन और सहयोग मिला। चंद्रचूड़ ने कहा कि जब लोक अदालत के लिए पैनल बनाए गए थे, तो यह सुनिश्चित किया गया था कि हर पैनल में दो जज और दो वकील होंगे। सीजेआई ने कहा कि ऐसा करने का मकसद वकीलों को इस संस्था की जिम्मेदारी देना था क्योंकि यह सिर्फ जजों की संस्था नहीं है और यह जजों के लिए, जजों द्वारा चलाई जाने वाली संस्था नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हम एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं। हमने वकीलों से सीखा कि छोटी-छोटी प्रक्रियात्मक बातों पर उनका कितना अच्छा कब्जा है।

चीफ जस्टिस ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि लोग अदालत में चलने वाली लंबी कानूनी लड़ाई से त्रस्त हो जाते हैं और ऐसे में वह चाहते हैं कि मामले का जल्द निपटारा हो। इस स्थिति में वैकल्पिक मैकेनिज्म के तौर पर लोक अदालत का रोल अहम हो जाता है। लोक अदालत वैसे फोरम है जहां पेंडिंग केस में आपसी समझौते से केस का निपटारा होता है। ऐसे में हुए केस के निपटारे के बाद उसमें अपील नहीं होती है। चीफ जस्टिस ने इस दौरान हिंदी में कहा कि लोग बस कोर्ट से दूर होना चाहते हैं और सेटलमेंट चाहते हैं। लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए चीफ जस्टिस ने कहा कि बार और बेंच दोनों का जबर्दस्त सहयोग मिला।

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