इस्‍लामाबाद। बीजिंग हर परिस्थिति और हर हालात में इस्‍लामाबाद का साथ देता आ रहा है। यह जानते हुए भी कि पाकिस्‍तान आतंकवाद के लिए सुरक्षित पनाहगाह है, चीन लगातार समर्थन करता रहा है। हालांकि, लगता है अब दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है। चीन के जिस जाल में अफ्रीका से लेकर श्रीलंका तक जैसे देश फंस चुके हैं, अब पाकिस्‍तान भी उसका शिकार बन चुका है। चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत दोनों देशों के बीच एनर्जी सेक्‍टर में एक करार हुआ था, जिसके तहत इस्‍लामाबाद को निर्धारित समय पर कर्ज की रकम चुकानी थी। पाक‍िस्‍तान का खजाना खाली है, ऐसे में वह शर्तों के अनुसार लोन की राशि नहीं चुका पा रहा है। वहीं, चीनी कंपनियां अब पाकिस्‍तान में और पावर प्‍लांट लगाने से कतरा रही हैं तो दूसरी तरफ चीन सरकार लोन रिपेमेंट में ढिलाई बरतने के मूड में नहीं दिख रहा है।लोन की बकाया राशि के लिए चीन की ओर से पाकिस्‍तान पर लगातार दबाव बना रहा है। हालात को देखते हुए पाकिस्‍तान की शहबाज शरीफ सरकार ने अपने दो मंत्रियों को बीजिंग भेजा है। पाकिस्‍तानी मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पहले चीन इस मसले पर बातचीत के लिए ही तैयार नहीं था, बाद में इसकी अनुमति दी गई।

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