-सरकार को कर्ज का ब्याज चुकाने दूसरे खर्चों में करनी पड़ रही कटौती
वाशिंगटन। दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका पर दिन-ब-दिन कर्ज बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी की फेडरल गवर्नमेंट का कर्ज अब 35 ट्रिलियन डॉलर से महज 2.5 अरब डॉलर दूर रह गया है। 2019 के बाद इसमें 13 ट्रिलियन डॉलर की तेजी आई है जो भारतीय अर्थव्यवस्था का करीब तीन गुना है। देश का डेट-टू-जीडीपी रेश्यो 122 फीसदी है। पिछले पांच साल में इसमें 19 फीसदी की तेजी आई। अमेरिका के इतिहास में फेडरल गवर्नमेंट के कर्ज में इतनी तेजी पहले कभी नहीं आई है। हालत यह हैं कि अमेरिका को कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए दूसरे खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है।
अमेरिका का कर्ज हर तीन महीने में करीब एक ट्रिलियन डॉलर बढ़ जाता है। इस साल 4 जनवरी को यह 34 ट्रिलियन डॉलर हो गया था। उससे पहले पिछले साल 15 सितंबर को यह 33 ट्रिलियन डॉलर और 15 जून को 32 ट्रिलियन डॉलर हो गया था। इसे 31 ट्रिलियन डॉलर से 32 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने में आठ महीने का समय लगा था। यूएस डेट वह राशि है जो अमेरिका की संघीय सरकार अपने खर्चों को कवर करने के लिए रुपया उधार लेती है।
माना जा रहा है कि अगर अमेरिका का कर्ज इसी तरह बढ़ता गया तो 2054 तक अमेरिका की अर्थव्यवस्था 166फीसदी पहुंच जाएगी। इससे साफ है कि अमेरिका में सरकार की कमाई कम हो रही है और खर्च बढ़ रहे हैं। जानकारों की मानें तो देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। स्थिति यह है कि अमेरिका को रोज 1.8 अरब डॉलर ब्याज के रुप में खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाते-चुकाते ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था दम तोड़ देगी। इससे सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा पर होने वाले कुल खर्च से ज्यादा रुपया ब्याज चुकाने में देना होगा। चिंता की बात यह है कि अमेरिका का कर्ज ऐसे समय बढ़ रहा है जब देश की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और बेरोजगारी कम है। अमूमन जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो सरकार खर्च बढ़ाती है ताकि ग्रोथ को और आगे बढ़ाया जा सके।